टेक जगत की दिग्गज कंपनी गूगल अपने यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर एक बड़ा बदलाव करने जा रही है. इसके लिए गूगल की मैप्स सर्विस का अपडेट पेश किया गया है, जो आपकी प्राइवेसी को बढ़ाएगा और उसके बाद सरकारें आपकी लोकेशन को एक्सेस नहीं कर पाएंगी.


यूजर-प्राइवेसी को बढ़ाने का प्रयास


गूगल ने एक ताजे अनाउंसमेंट में इस अपडेट की जानकारी दी है. गूगल के अनुसार, मैप्स सर्विस के इस अपडेट के बाद गूगल मैप्स की लोकेशन हिस्ट्री अथॉरिटीज यानी कानून प्रवर्तन एजेंसियों जैसे पुलिस आदि के लिए वर्चुअली अनुपलब्ध हो जाएगी. गूगल के इस अपडेट को कानून प्रवर्तन एजेंसियों की दखल पर लगाम लगाने और यूजर्स की प्राइवेसी को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.


अब 3 महीने के डेटा को ही किया जाएगा स्टोर


गूगल मैप्स की लोकेशन हिस्ट्री को टाइमलाइन नाम से जाना जाता है. अभी यह क्लाउड पर स्टोर होती है. गूगल ने इसे लेकर नीतियों में बदलाव किया है. बदलाव के बाद यूजर्स को इस बात की सुविधा मिलेगी कि वे अपनी लोकेशन हिस्ट्री यानी टाइमलाइन को क्लाउड पर स्टोर न कर डिवाइस में ही स्टोर करें. इसके साथ ही गूगल डेटा रिटेंशन पॉलिसी में भी बदलाव कर रही है. इसके तहत डेटा रिटेन करने की अवधि को कम किया जा रहा है. बदलाव के बाद तीन महीने का ही गूगल मैप्स डेटा स्टोर रहेगा.


चुनिंदा लोकेशन के डेटा को हटाने की सुविधा


इनके अलावा गूगल की मैप्स सर्विस में एक और बड़ा बदलाव चुनिंदा डेटा को डिलीट करने की सुविधा है. अब गूगल अपने यूजर्स को इस बात की भी सुविधा देगी कि वह किसी खास लोकेशन से जुड़ी हिस्ट्री को हटा सके. गूगल की तरफ से पहले ही लोकेशन को इनेबल-डिसेबल करने की सुविधा दी जा रही है. अब यूजर लोकेशन सर्विस ऑन रखने के बाद भी उसे पूरी तरह से कंट्रोल कर पाएंगे. यह यूजर पर निर्भर करेगा कि वह अपने डेटा को किस हद तक स्टोर करना चाहता है.


नए साल में मिलने लगेगा अपडेट


गूगल का यह अपडेट जल्दी ही एंड्रॉयड और आईओएस यूजर्स के लिए उपलब्ध होने लगेगा. गूगल के इस मैप अपडेट की शुरुआत अगले साल होने की उम्मीद है. जियोफेंस वारंट के बढ़ते दुरुपयोग के चलते लंबे समय से इस तरह के बदलाव की मांग की जा रही थी. प्राइवेसी एक्टिविस्ट लगातार डिमांड कर रहे थे कि जियोफेंस वारंट के जरिए दुनिया भर में अथॉरिटीज लोगों की प्राइवेसी में खलल डाल रही हैं. गूगल ने अंतत: इस पर अमल किया है.


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