नई दिल्ली: यूरोप का नया डेटा प्राइवेसी नियम एक हफ्ते बाद लागू होने वाले हैं. इस डेटा नियम के तहत जहां यूजर्स के डेटा प्राइवेसी को लेकर और सुविधा मिलेगी तो वहीं विज्ञापन के लिए दूसरी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए गए डेटा को लेकर अब कंपनी को जवाब देना होगा. आपको बता दें इन नियमों को बनाने में कई सालों का लंबा वक्त लगा है जिसके बाद सभी कंपनियां यूरोपियन यूनियन के मुताबिक अब नए सिरे से अपनी प्राइवेसी पॉलिसी लिख रही हैं. इन नियमों को अमेरिका और दूसरी जगहों पर भी फॉलो किया जाएगा जहां नियम थोड़े कमजोर हैं.

आपके लिए क्या बदलेगा?

आपको बता दें कि इन नियमों की वजह से यूजर्स के लिए ज्यादा कुछ नही बदलने वाला है क्योंकि कंपनियां आपके फोन से आपका पर्सनल डेटा लेती रहेंगी. जिसमें आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एप्स और वेबसाइट्स शामिल हैं. हालांकि इसमें यूजर्स को जिस एक बात का फायदा हो रहा है वो ये है कि कंपनी को अब अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को इस नए नियम के तहत बनाना होगा कि वो यूजर्स का डेटा इस्तेमाल कर रही है या नहीं.

इस नियम के बाद एक बात तो तय है कि प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर कंपनियों को अब कड़े कदम उठाने पड़ेंगे. तो वहीं अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में भी बदलाव करना होगा. इन नियमों का पालन न करने पर यूरोपियन यूनियन के पास कंपनी के खिलाफ एक्शन लेने का पूरा अधिकार होगा.

GDPR में कौन से देश होंगे शामिल?

यूरोपियन यूनियन के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के आते ही अलग अलग नियमों की बजाए पूरे यूरोप में अब सिर्फ एक ही नियम होगा.

इस नए नियम में तकरीबन 28 यूरोपियन यूनियन के देश शामिल हैं. जो सिर्फ फेसबुक, गूगल और दूसरी छोटी कंपनियों पर लागू होंगी.

क्या कहते हैं नए नियम?

नए नियम के मुताबिक अब कंपनी को ये बताना होगा की वो यूजर का डेटा लेकर किस तरह उसका इस्तेमाल कर रही है. हालांकि कंपनियां जो कर रही है उसमें वो ज्यादा बदलाव नहीं कर रहीं हैं. लेकिन इस नियम से एक बात तो तय है कि कंपनियों को अब अपने प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव लाना होगा. इसके लिए गूगल यूट्यूब की मदद से कई तरह के वीडियो भी डाल रहा है जिसमें इस कॉंसेप्ट को समझाया गया है.

कंपनियों को अब यूरोपियन यूनियन को डेटा एक्सेस और डेटा को डिलीट करने का भी अधिकार देना होगा. तो वहीं कंपनियों को अब इस बात की भी जानकारी देनी होगी कि वो यूजर के डेटा अपने पास कितने देर के लिए रखता है.

नियम के मुताबिक अगर किसी कंपनी के पास यूजर का डेटा है तो इस बात का खुलासा उसे अगले 72 घंटों के अंदर करना होगा. याहू को एक समय इस बात का खुलासा करने के लिए तकरीबन 2 साल का लंबा वक्त लग गया था जिसमें 3 बिलियन यूजर्स शामिल थे.

यूरोपियन यूनियन के बाहर वाले यूजर्स के लिए क्या?

नियम के मुताबिक इसमें सिर्फ वो देश ही शामिल हैं जो यूरोपियन यूनियन के अंदर आते हैं. लेकिन यहां सवाल ये है कि उन देशों का क्या जो इस नियम से बाहर हैं? इसके लिए कंपनियों को थोड़ा और इंतजार करना होगा. या फिर आप यूरोपियन यूनियन की वेबसाइट पर जाकर एक कंफ्रंट नोटिस पा सकते हैं.

प्राइवेसी रिसर्च फर्म पोनमन इंस्टीट्यूट के फाउंडर लैरी पोनमन का मानना है कि यूरोपियन यूनियन से दूसरे लोगों को अलग करना उतना आसान नहीं खासकर उन छोटी कंपनियों के लिए जो बिना गूगल और फेसबुक के कौशल से चल रही हैं. ये एक अच्छा तरीका है लेकिन आने वाले समय में इसपर और काम करने की जरूरत है.