उत्तर भारत के कई शहरों में वायु प्रदूषण चिंताजनक स्तर को भी पार कर गया है. हवा में घुले जहर के कारण सांस लेना मुश्किल हो रहा है, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग एयर प्यूरिफायर खरीद रहे हैं. पिछले कुछ सालों में एयर प्यूरिफायर का चलन बढ़ा है और इसके साथ ही ऐसे मिथ्स भी लोगों में फैल रहे हैं, जो पूरी तरह गलत है. आज हम आपको एयर प्यूरिफायर से जुड़े कुछ मिथ्स के पीछे की सच्चाई बताने जा रहे हैं. 

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एयर प्यूरिफायर ऑन होते ही हवा को साफ कर देता है

यह पूरी तरह सच्चाई नहीं है. एयर प्यूरिफायर को हवा साफ करने के लिए थोड़ा समय लगता है. ऐसे में एयर प्यूरिफायर के ऑन करते ही हवा साफ होने की बात सच नहीं है.

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बंद घर में एयर प्यूरिफायर की जरूरत नहीं

यह बात भी सच नहीं है. हवा के प्रदूषक तत्व इतने छोटे होते हैं कि वो कहीं से भी घर में घुस सकते हैं. एकदम साफ दिखने वाली जगह पर भी बड़ी संख्या में प्रदूषक तत्व होते हैं.

ज्यादा फैन स्पीड से ज्यादा हवा साफ होगी

यह भी एक भ्रम है कि फैन स्पीड ज्यादा करने से ज्यादा हवा साफ होगी, जबकि सच्चाई यह है कि फैन स्पीड बढ़ाने से सर्कुलेशन बढ़ता है. इससे फिल्ट्रेशन प्रोसेस पर कोई असर नहीं पड़ता. 

वायरस से भी बचाते हैं एयर प्यूरिफायर

यह बात भी सच नहीं है और एक भ्रम है. एयर प्यूरिफायर हवा में घुले हुए पार्टिकल्स को साफ कर देता है, लेकिन यह आपको वायर और इंफेक्शन से बचाने के लिए काफी नहीं है. 

बड़ी मशीन ही ठीक रहती है

एयर प्यूरिफायर का साइज हमेशा रूम के हिसाब से चुनना चाहिए. अगर आपको ज्यादा एरिया की हवा साफ करनी है तो बड़ी मशीन काम आएगी, लेकिन रूम साइज छोटा है तो छोटी मशीन ही पर्याप्त रहेगी.

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