Artificial intelligence : नए शोध से पता चलता है कि 2027 तक, बिजली से चलने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से संबंधित गतिविधियों में बढ़ोतरी हो सकती है. इससे एआई द्वारा इस्तेमाल होने वाली बिजली की खपत भी बढ़ेगी और यह नीदरलैंड, अर्जेंटीना और स्वीडन जैसे देशों की वार्षिक बिजली मांगों से भी अधिक हो सकती हैं.


क्या है कारण? 


जूल जर्नल में एक टिप्पणी के रूप में प्रकाशित रिसर्च में यह दावा किया गया है. रिसर्च में कहा गया है कि एआई को व्यापक रूप से अपनाने से एक बड़े ऊर्जा फुटप्रिंट की जरूरत हो सकती है क्योंकि चैटजीपीटी जैसी जेनरेटिव एआई टेक्नोलॉजी जो उन डाटा के आधार पर कंटेंट बनाती हैं, जिन पर उन्हें प्रशिक्षित किया गया है, और 2022 के बाद से इसमें तेजी से विकास हो रहा है.


एलेक्स डी व्रीस, व्रीजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम, नीदरलैंड्स के एक शोधकर्ता के अनुसार AI उपकरण में बहुत ज्यादा फीड की जरूरत होती है. वहीं AI की ने टेस्टिंग के दौरान न्यूयॉर्क स्थित एआई कंपनी, हगिंग फेस ने बताया कि 433 मेगावट घंटे बिजली की खपत हुई जो एक साल तक अमेरिका के औसतन 40 घरों की जरूरत के बाराबर थी. 


डी व्रीज़ ने यह भी अनुमान लगाया कि यदि Google, जो वर्तमान में एक दिन में 9 बिलियन सर्च तक रेस्पॉस देता है. AI अपने सर्च उससे ज्यादा सर्च करेगा, ऐसे में  उसे प्रति वर्ष लगभग 30 TWh बिजली की आवश्यकता होगी, जो कि आयरलैंड की लगभग वार्षिक बिजली खपत है. Google कंपनी की ईमेल सेवा में जेनरेटिव AI को शामिल कर रहा है और AI के साथ अपनी खोजों को सशक्त बनाने का परीक्षण कर रहा है.


इस प्रकार, 2027 तक, दुनिया भर में AI-संबंधित बिजली की खपत सालाना 85 से 134 TWh तक बढ़ सकती है, De Vries ने AI-सर्वर उत्पादन की दर के अनुमान के आधार पर कहा, जो निकट भविष्य में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. इसके अलावा, भले ही वैश्विक स्तर पर कंपनियां एआई हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अधिक कुशल और कम ऊर्जा-गहन बनाने पर काम कर रही हैं, डी व्रीस ने कहा कि इससे केवल उनकी मांग बढ़ती है. 


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