WhatsApp को चैटिंग के लिए एक सुरक्षित ऐप माना जाता है. कंपनी का कहना है कि इसमें मिलने वाले एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन के कारण सेंडर और रिसीवर के अलावा कोई भी यह नहीं देख सकता है कि मैसेज में क्या लिखा या भेजा गया है. हालांकि, एक नए डिजिटल फॉरेंसिक डेमो ने इसकी पोल खोल दी है. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट Nana Sei Anyemedu ने बताया है कि ट्रांसमिशन के दौरान मैसेज प्राइवेट रहते हैं, लेकिन रिसीवर के डिवाइस पर पहुंचने के बाद ये एनक्रिप्टेड नहीं रहते. आइए जानते हैं कि डेमो में क्या पता चला है और इससे यूजर पर क्या असर पड़ेगा. 

Continues below advertisement

स्टोर्ड चैट को किया जा सकता है एक्सेस

iOS 26.1 पर रनिंग iPhone 16 Pro पर यह डेमो किया गया था. इसमें पता चला कि व्हाट्सऐप मैसेज और मीडिया को डिवाइस के अंदर लोकल डेटाबेस पर स्टोर करती हैं. इस डेटाबेस में ऐसी फाइल्स होती हैं, जिनमें मैसेज की पूरी टाइमलाइन होती है. जैसे ही किसी डिवाइस को अनलॉक्ड, डिक्रिप्ट या फॉरेंसिक टूल्स के जरिए एक्सेस किया जाता है तो इन्वेस्टिगेटर इस पूरे डेटाबेस को पढ़कर इससे मैसेज की पूरी टाइमलाइन, टाइमस्टैंप और पार्टिसिपेंट डिटेल्स, फोटो, वीडियो, वॉइस नोट्स और अटैच्ड डॉक्यूमेंट्स से जुड़ी जानकारी निकाल सकते हैं. साथ ही वे डिलीट किए गए मैसेज को भी रिकवर कर सकते हैं. डेमो से यह पता चला कि व्हाट्सऐप का एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन केवल ट्रांसमिशन के दौरान ही काम करता है और डिवाइस पर स्टोर्ड डेटा पर यह काम नहीं करता.

Continues below advertisement

यूजर पर इसका क्या असर पड़ेगा?

आमतौर पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट डिवाइस-लेवल एक्सेस पर ही निर्भर रहते हैं. अगर किसी एक्सपर्ट या इन्वेस्टिगेटर को फोन के पासकोड, बायोमैट्रिक अनलॉक आदि तरीकों से किसी फोन की एक्सेस मिल जाए तो वो बिना एनक्रिप्शन प्रोटोकॉल को तोड़े चैट का पूरा कॉन्टेक्स्ट निकाल सकते हैं. इस डेमो के बाद यूजर के लिए अपने डिवाइस को सिक्योर करना जरूरी हो गया है. भले ही ट्रांसमिशन के दौरान कोई आपके मैसेज न पढ़ पाएं, लेकिन फिजिकल डिवाइस की एक्सेस मिलने या मालवेयर आदि इंस्टॉल होने के बाद यह रिस्क बढ़ जाता है. 

ये भी पढ़ें-

आईपैड पर काम करते-करते कैसे बन गया आईफोन? जानिए इससे जुड़ी अनसुनी बातें