AI Hacker: स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का कंप्यूटर नेटवर्क हाल ही में इंसानों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बीच चल रही अदृश्य जंग का नया मैदान बना. इस बार नतीजा चौंकाने वाला रहा क्योंकि एक AI एजेंट ने उन प्रोफेशनल साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स को पीछे छोड़ दिया जो इसी काम के लिए लाखों की सैलरी लेते हैं. यह प्रयोग साफ इशारा करता है कि साइबर सुरक्षा की दुनिया अब तेजी से बदल रही है.

Continues below advertisement

ARTEMIS: एक AI जिसने हैकर्स को पछाड़ दिया

इस प्रयोग में इस्तेमाल किया गया AI एजेंट ‘ARTEMIS’ स्टैनफोर्ड के ही रिसर्चर्स ने तैयार किया था. इसे यूनिवर्सिटी के प्राइवेट और पब्लिक कंप्यूटर साइंस नेटवर्क पर 16 घंटे के लिए छोड़ा गया. इस दौरान ARTEMIS ने करीब 8,000 डिवाइसेज को स्कैन किया जिनमें सर्वर, कंप्यूटर और स्मार्ट सिस्टम शामिल थे. टेस्ट खत्म होने तक यह AI दस में से नौ प्रोफेशनल पेनिट्रेशन टेस्टर्स से बेहतर साबित हुआ और कई ऐसी कमजोरियां पकड़ लीं जिन्हें अनुभवी इंसानी हैकर्स भी नजरअंदाज कर गए.

रिसर्च और नतीजों की लिस्ट

इस स्टडी को स्टैनफोर्ड के रिसर्चर्स जस्टिन लिन, इलियट जोन्स और डोनोवन जैस्पर ने लीड किया, जो साइबर सिक्योरिटी, AI एजेंट्स और मशीन लर्निंग सेफ्टी में विशेषज्ञ माने जाते हैं. उनके मुताबिक ARTEMIS को इस तरह डिजाइन किया गया था कि यह लंबे समय तक बिना रुके, अपने आप जटिल सिस्टम्स को स्कैन और एनालाइज कर सके जबकि आम AI टूल्स अक्सर ऐसे मल्टी-स्टेप टास्क में फेल हो जाते हैं.

Continues below advertisement

इंसानी हैकर्स पर AI की बढ़त कैसे दिखी

इस प्रयोग के लिए दस अनुभवी पेनिट्रेशन टेस्टर्स को बुलाया गया और सभी को कम से कम 10 घंटे काम करने को कहा गया. तुलना ARTEMIS के शुरुआती 10 घंटों से की गई. इस दौरान AI ने 82 प्रतिशत की सटीकता के साथ नौ असली सिक्योरिटी फ्लॉज़ खोज निकाले. रिसर्चर्स का कहना है कि जहां दूसरे AI सिस्टम इंसानों से पीछे रह जाते हैं, वहीं ARTEMIS का प्रदर्शन सबसे मजबूत इंसानी प्रतिभागियों के बराबर रहा.

खर्च में जमीन-आसमान का फर्क

सबसे हैरान करने वाली बात इसकी लागत रही. स्टडी के अनुसार ARTEMIS को चलाने का खर्च करीब 18 डॉलर प्रति घंटा आता है यानी लगभग 1,600 रुपये. वहीं अमेरिका में एक औसत प्रोफेशनल पेनिट्रेशन टेस्टर की सालाना सैलरी करीब 1.25 लाख डॉलर से ज्यादा होती है जो भारतीय रुपये में एक करोड़ से ऊपर बैठती है. ARTEMIS का एक ज्यादा एडवांस वर्जन भी लगभग 59 डॉलर प्रति घंटा में काम कर लेता है जो फिर भी टॉप-लेवल एक्सपर्ट को हायर करने से कहीं सस्ता है.

ARTEMIS ने वो कैसे खोजा जो इंसान चूक गए

ARTEMIS की सबसे बड़ी ताकत इसका डिजाइन है. जैसे ही इसे नेटवर्क स्कैन के दौरान कुछ संदिग्ध नजर आता है, यह तुरंत छोटे-छोटे ‘सब-एजेंट्स’ लॉन्च कर देता है जो उसी समय अलग-अलग एंगल से जांच शुरू कर देते हैं. इस तरह यह एक साथ कई खतरों का विश्लेषण कर पाता है जो इंसानों के लिए लगभग नामुमकिन है.

एक मामले में इस AI ने एक पुराने सर्वर की बड़ी कमजोरी पकड़ ली जिसे इंसानी टेस्टर्स ने इसलिए छोड़ दिया था क्योंकि उनका ब्राउजर उसे लोड ही नहीं कर पा रहा था. ARTEMIS ने बिना रुके कमांड-लाइन इंटरफेस के जरिए उस सिस्टम तक पहुंच बना ली.

AI की सीमाएं भी आईं सामने

हालांकि ARTEMIS पूरी तरह परफेक्ट नहीं है. जिन टास्क में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के साथ काम करना पड़ता है, वहां यह लड़खड़ा गया. एक गंभीर खामी इसलिए छूट गई क्योंकि AI साधारण क्लिक या विजुअल एलिमेंट्स के साथ सही तरीके से इंटरैक्ट नहीं कर सका. कुछ मौकों पर इसने बेकार नेटवर्क एक्टिविटी को भी खतरा समझ लिया यानी फॉल्स पॉजिटिव्स भी सामने आए.

रिसर्चर्स के मुताबिक ARTEMIS टेक्स्ट और कोड-आधारित माहौल में बेहद तेज और सटीक है, लेकिन जहां सिस्टम ज्यादा विजुअल हो जाते हैं, वहां इसे अब भी सुधार की जरूरत है.

यह भी पढ़ें:

Airtel Vs Jio: कौन सा रिचार्ज देगा सबसे तगड़ी स्पीड और ज्यादा फायदा? जानिए कौन किस पर भारी