आज की तेज रफ्तार जिंदगी में महिलाएं घर, परिवार और काम की जिम्मेदारियों के बीच अपनी सेहत को अक्सर पीछे छोड़ देती हैं. छोटी-छोटी परेशानियां उन्हें सामान्य लगती हैं, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक यही लक्षण आगे चलकर गंभीर बीमारियों का रूप ले सकते हैं. समय रहते इन संकेतों को समझना और सही कदम उठाना बेहद जरूरी है. अक्सर महिलाओं में बेचैनी और परेशानी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं और खुद महिलाएं भी इन्हें तनाव या ज्यादा काम की वजह मान लेती हैं, जो गलत है. अगर किसी महिला को लगातार दर्द हो रहा है, भले ही वह हल्का ही क्यों न हो, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
दिल से जुड़ी बीमारियों के संकेत अक्सर छुपे रहते हैं
कई बार महिलाओं में दिल से जुड़ी परेशानी ऐसे संकेतों के साथ सामने आती है, जिन्हें लोग मामूली समझ लेते हैं. जैसे अचानक जबड़े में दर्द होना या रोजमर्रा के छोटे काम करने पर भी असहनीय थकान महसूस होना. ये लक्षण सीने में तेज दर्द जैसे नहीं होते, इसलिए इन पर ध्यान नहीं दिया जाता. इसी तरह उलझन महसूस होना, पीठ में दर्द रहना या थोड़ी देर चलने पर सांस का फूलना फ्लू या गैस की समस्या लग सकती है, लेकिन ये दिल की रक्त नलिकाओं में रुकावट और दबाव बढ़ने की चेतावनी भी हो सकते हैं. ऐसे संकेत दिखें तो खुद से इलाज करने के बजाय तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.
पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं नहीं हैं नॉर्मल
अनियमित माहवारी, बहुत ज्यादा दर्द, अत्यधिक ब्लीडिंग या पीरियड्स का अचानक रुक जाना सामान्य नहीं है. कई महिलाएं इसे यह कहकर नजरअंदाज कर देती हैं कि यह हर महिला के साथ होता है, जबकि यह हार्मोनल असंतुलन, पीसीओएस या अन्य स्त्री रोगों का संकेत हो सकता है. समय पर इलाज न होने पर इसका असर फर्टिलिटी पर भी पड़ सकता है.
पेट और पाचन की दिक्कतें भी देती हैं चेतावनी
अगर गैस, कब्ज, एसिडिटी या पेट दर्द बार-बार हो रहा है, तो इसे मामूली समस्या समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. लंबे समय तक ऐसी परेशानी पाचन तंत्र की बीमारी, फूड एलर्जी या डायबिटीज जैसी समस्याओं का संकेत हो सकती है. बिना डॉक्टर की सलाह के लगातार दवाइयों का इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है.
चक्कर आना और थकान एनीमिया का संकेत हो सकता है
कई बार अचानक खड़े होने पर चक्कर आना या चेहरे का रंग फीका पड़ जाना सामान्य कमजोरी समझ लिया जाता है, लेकिन यह खून की कमी यानी एनीमिया की चेतावनी भी हो सकती है. ज्यादा रक्तस्राव की वजह से शरीर में आयरन की कमी हो जाती है, जिससे कोशिकाओं तक सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती.
प्रसव के बाद लगातार उदासी को न करें नजरअंदाज
प्रसव के बाद अगर दो हफ्ते से ज्यादा समय तक उदासी, खालीपन या मन भारी रहने जैसा एहसास बना रहे, तो इसे मामूली भावनात्मक बदलाव नहीं मानना चाहिए. यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है, जो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को भी कमजोर कर देता है.
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