UP Assembly Election: यूपी में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है. प्रदेश की सभी 58,189 ग्राम पंचायतों में बंपर नौकरी निकाली गई है. सरकार प्रदेश में जितनी पंचायतें हैं उतने ही पंचायत सहायक या डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति करने जा रही है. प्रदेश में 58,189 पंचायत सहायकों की नियुक्ति की प्रक्रिया 2 अगस्त से शुरू हो जाएगी, इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को महज 40 दिनों में पूरा करने की सरकार की तैयारी है. इन पंचायत सहायकों को 6 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा और इनके कार्यकाल की अवधि 1 वर्ष होगी. इस पद के लिए आवेदन करने वाले आवेदक की अधिकतम आयु 40 वर्ष तक हो सकती है.


इस पद पर भर्ती के लिए आवेदक का उसी ग्राम पंचायत से निवासी होना जरूरी है जहां से वह अप्लाई कर रहा है. इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का वही नियम लागू होगा जो पंचायत चुनाव में उस ग्राम पंचायत के लिए लागू था. यानी अगर कोई ग्राम पंचायत किसी महिला एससी या एसटी के लिए रिजर्व है तो वहां भर्ती के लिए भी यही आरक्षण लागू होगा. इसमें 10वीं और 12वीं के अंकों के आधार पर मेरिट बनाई जाएगी और फिर उसके आधार पर ही पंचायत सहायक का चयन किया जाएगा.


प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में बहुत पारदर्शिता बरती जा रही है. इसमें प्रधान अपने परिवार और रिश्तेदारों को नहीं रख पाएंगे. इस चयन प्रक्रिया में जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति अंतिम मुहर लगाएगी. वहीं प्रदेश में ग्राम पंचायत सचिवालय की स्थापना के लिए 1 लाख 75 हज़ार का बजट भी सभी ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा.


भर्ती प्रक्रिया
पंचायत सहायक के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित करने की सूचना 30 जुलाई से 1 अगस्त के बीच जारी होगी. आवेदन पत्र जमा करने की अवधि 2 अगस्त से 17 अगस्त तक रहेगी. जमा आवेदन पत्र ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराने का काम 18 अगस्त से 23 अगस्त के बीच किया जाएगा. मेरिट लिस्ट तैयार करने का काम 24 अगस्त से 31 अगस्त तक किया जाएगा. डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा परीक्षण 1 सितंबर से 7 सितंबर के बीच होगा. ग्राम पंचायत द्वारा नियुक्ति पत्र 8 सितंबर से 10 सितंबर के बीच जारी कर दिया जाएगा.


लाखों युवाओं को मिला रोजगार
प्रदेश की योगी सरकार का फोकस लगातार मिशन रोजगार पर है. सरकार का दावा है कि पिछले साढे 4 वर्षों में अब तक लाखों युवाओं को रोजगार दिया जा चुका है. बीजेपी की कोशिश है कि 2022 के चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार दिया जा सके, जिससे जब जनता के बीच वोट मांगने के लिए जाना पड़े तो कम से कम यह बताया जा सके कि उनसे रोजगार देने का जो वादा किया था उसे सरकार ने पूरा भी किया है.


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