UP News: उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को और अधिक पारदर्शी और तेज बनाने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक प्राधिकरणों का विस्तृत डाटाबेस तैयार करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है. इस कदम से भूमि आवंटन में तेजी आएगी और निवेशकों को सटीक जानकारी उपलब्ध होगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, इन्वेस्ट यूपी इस डाटाबेस को तैयार करने का कार्य जल्द शुरू करेगा. इस डाटाबेस के माध्यम से प्रदेश के सभी औद्योगिक प्राधिकरणों में रिक्त भूखंडों, आवंटित भूमि और वहां स्थापित उद्योगों की मौजूदा स्थिति पर नजर रखी जाएगी.

कौन-कौन से प्राधिकरण आएंगे दायरे में?

इस परियोजना में उत्तर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक प्राधिकरण शामिल किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:

• उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा)

• यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा)

• नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा)

• ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा)

• उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा)

• सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण (सीडा)

इस परियोजना के तहत प्राधिकरणों में उपलब्ध लैंड बैंक, पहले से आवंटित भूखंडों की स्थिति, वहां चल रही औद्योगिक गतिविधियों और नए प्लॉट्स की उपलब्धता का संकलन किया जाएगा.

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डाटाबेस बनाने के लिए सर्वे एजेंसियों की होगी नियुक्ति

इस प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए विशेष सर्वे एजेंसियों की नियुक्ति की जाएगी. ये एजेंसियां प्राधिकरणों के ऑफसाइट और ऑनसाइट सर्वेक्षण के जरिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगी.

इन एजेंसियों का मुख्य कार्य होगा:

• औद्योगिक भूखंडों की निगरानी करना और उनकी स्थिति का आकलन करना.

• मासिक रिपोर्ट तैयार करना जिससे स्पष्ट हो कि कहां-कहां उद्योग स्थापित हो रहे हैं और कहां भूमि खाली पड़ी है.

• भूखंडों के दुरुपयोग पर नजर रखना ताकि औद्योगिक भूमि का इस्तेमाल तयशुदा उद्देश्यों के लिए ही हो.

• रिक्त प्लॉट्स की जानकारी निवेशकों को उपलब्ध कराना जिससे नए उद्योगों की स्थापना में तेजी आए.

औद्योगिक निवेश को मिलेगा बढ़ावा

उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रयास से निवेशकों को पारदर्शी और स्पष्ट जानकारी मिलेगी, जिससे राज्य में उद्योगों की स्थापना में तेजी आएगी. यह डाटाबेस न केवल औद्योगिक भूखंडों की निगरानी के लिए मददगार होगा बल्कि औद्योगिक प्राधिकरणों की कार्यकुशलता का तुलनात्मक अध्ययन करने में भी सहायक साबित होगा.

सरकार की इस पहल से उत्तर प्रदेश को उद्योगों का नया हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. इससे प्रदेश में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे और ‘उत्तम प्रदेश’ की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ेगा.