वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के वजूखाने की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टल गई है. अब कोर्ट में 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी. कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाओं ने की है. वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने पिछली तारीख पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश के लिए सात अक्तूबर की तारीख तय की थी. 


ज्ञानवापी विवाद


इस साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ था. इस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने के बीच में एक शिवलिंग मिला है.वहीं मुस्लिम पक्ष उसे फब्वारा बता रहा है.याचिकाकर्ताओं की मांग है 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग के साथ-साथ वैज्ञानिक जांच कराई जाए. इसके साथ ही उनकी यह मांग भी है कि इसके लिए शिवलिंग को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए. इसका मकसद यह पता करना है कि यह फव्वारा है या शिवलिंग. इसके लिए कार्बन डेटिंग से वैज्ञानिक साक्ष्य मिलेगा. 


कार्बन डेटिंग एक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि है.इसका प्रयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु पता लगाने में किया जाता है. इसकी खोज अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एडवर्ड  फ्रैंक लेबी ने साल 1949 में की थी. उन्होंने इसकी मदद से एक लड़की की आयु का पता लगाया था. दरअसल 5 हजार 730 साल में वस्तु की कार्बन की मात्रा आधी (अर्धआयु) रह जाती है. इसी का मूल्यांकन करके किसी कार्बनिक पदार्थ की आयु का पता लगाया जाता है. जो सटीक होती है. इसमें एक बात जाननी बहुत जरूरी है कि करीब 50 हजार साल से  ज्यादा पुरानी चीजों की कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती है.इस खोज के लिए लेवी को 1960 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. 


कार्बन डेटिंग का प्रयोग


कार्बन डेटिंग एक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि है.इसका प्रयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु पता लगाने में किया जाता है. दरअसल हमारे पर्यावरण में कार्बन के तीन आइसोटोप कार्बन-12 (कार्बन डाई ऑक्साइड), कार्बन-13 और कार्बन-14. किसी चीज की आयु का पता लगाने के लिए कार्बन-14 की जरूरत होती है, बाकी के दोनों आइसोटोप वातावरण में आसानी से मिल जाते हैं.  कार्बन-14 एक रेडियोधर्मी पदार्थ है. यह समय के साथ-साथ जैविक शरीर में कम होने लगता है.अपनी अर्धआयु के सात-आठ चक्र पूरा करने के बाद कार्बन-14 की मात्रा लगभग नगण्य रह जाती है.


किसमें मिलता है कार्बन-14


किसी चट्टान की आयु का पता कार्बन डेटिंग से तभी लगाया जा सकता है, जब उसके निचे कोई कार्बनिक पदार्थ हो, जैसे कि किसी पौधे के अंश या कोई मरा हुआ जीव.इससे यह पता लगाय जा सकता है कि वह चट्टान कितने साल की है.कार्बन डेटिंग से उस पदार्थ की आयु का पता लगाया जा सकता है, जिसमें कार्बनिक पदार्थ हो जैसे- लकड़ी, चारकोल, हड्डी, पेंटिंग, बाल, कीड़ा, चमड़ा और फल.यह आयु भी अनुमानित ही होती है, सटीक नहीं.


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