उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ तैयारियों में कमी को लेकर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. मसूरी में पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पूर्व में कोई तैयारी की ही नहीं थी. राज्य सरकार कोरोना की तैयारियों को अंजाम देने की बजाय कुंभ का आयोजन करने में मस्त रही. वहीं केंद्र सरकार का सारा ध्यान बंगाल चुनाव के लिए रैलियां आयोजित करने पर था. जनता के प्रति जवाबदेही पर भाजपा के द्वारा कोई काम नहीं किया गया. जिससे देश और उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला और सैकड़ों लोगों की जान चली गई.


जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि भाजपा अपने शासन में मात्र घोषणाएं करने में व्यस्त है जबकि धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया परंतु उससे निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा की गई कि देश के प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्रों में 30 बेड का कोविड केयर सेंटर बनाया जायेगा परंतु इसके लिए किसी प्रकार का धन आवंटित नहीं किया गया है. वही राज्य के प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोविड के टेस्ट कराये जाने को लेकर स्वास्थ विभाग के पास पर्याप्त इंतजाम भी नहीं है.


ग्रामीण श्रेत्र के हालात बेहद खराब 


जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि, ग्रामीण क्षेत्रों के हालात तो बेहद खराब हैं. यहां स्वास्थ्य विभाग के पास कोविड के सैंपल लेने की टीम भी नहीं है, ऐसे में कोरोना की जांच कैसे होगी. यहीं कारण है कि उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण ने तेजी से पैर पसार लिये है. भाजपा सरकार मात्र जुमला और झूठी घोषणा करने में विश्वास रखती है यही कारण है  की भारत देश दुनिया में कोरोना संक्रमण की दर के मामले में तीसरे नंबर पर है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में गांव के हालात बद से बदतर हो रखे है. कई लोग खांसी जुकाम से पीड़ित हैं लेकिन सोशल मीडिया और टीवी चैनलों में यहां के कोविड केयर सेंटरों की हालत देखने के बाद  ग्रामीण अस्पताल जाने को तैयार नही है.


बच्चों की शिक्षा को लेकर भी नहीं बनाई गई ठोस नीति 


कोविड में केन्द्र सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा को लेकर भी कोई ठोस पॉलिसी नहीं अपनाई गई है. ग्रामीण और सुदूर इलाको में रहने वाले ज्यादातर लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, साथ ही यहां इंटर्नेट कनेक्टिविटी के चलते भी ऑनलाइन पढ़ाई संभव नहीं है. ऐसे में पिछले साल से कई बच्चे पढ़ाई से महरूम हैं. सरकार चाहती तो शिक्षा देने को लेकर ग्लोबल योजना तैयार करते हुए टीवी चैनलों के माध्यम से घर पर बच्चों को पढ़ाई कराई जा सकती थी परंतु सरकार की सोच मात्र चुनाव को जीतना है और झूठे वादे करके सत्ता कब्जाने का है।


यह भी पढ़ें 


Lockdown in Delhi: दिल्ली में एक हफ्ते और बढ़ा लॉकडाउन, जान गंवाने वाले डॉक्टरों को एक करोड़ का मुआवजा


कोवैक्सीन की WHO से मंजूरी के लिए प्रोसेस होगा तेज, भारत बायोटेक से और डेटा मांग सकता है WHO