महान शास्त्रीय गायक पं. छन्नूलाल मिश्रा का 2 अक्टूबर को मिर्जापुर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया था. वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन अब उनके 13वीं को लेकर एक विवाद सामने आया है. दरअसल उनकी बेटी ने कहा की भाई रामकुमार मिश्रा द्वारा 13 दिन तक विधि विधान से तेरहवीं करने की बजाय कुछ दिन में वह लौट गए, इन अवस्थाओं में निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया. जिसके बाद उनकी बेटी द्वारा विधि विधान से 13 दिन तक सनातन परंपरा के तहत 13वीं को पूरा किए जाने का निर्णय लिया गया है.

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इस मामले को लेकर एबीपी न्यूज़ ने पं. छन्नूलाल मिश्रा की बेटी नम्रता मिश्रा से बातचीत की. उनका कहना है कि  पिताजी राम नाम का सुमिरन करते हुए हैं ही अपनी अंतिम सांस लिए थे. हिंदू धर्म शास्त्रों और परंपराओं में उनका अटूट विश्वास रहा है. इतना ही नहीं जब कोविड में परिजनों का निधन हुआ था, उस दौरान वह अंतिम संस्कार से जुड़ी हुई इन क्रिया कर्मों में देरी पर बेचैन हो गए थे, जिसके बाद पिशाच मोचन पर पूजा करवाया गया था.

अब ऐसी स्थिति में जो व्यक्ति अपने परिजनों के लिए और दूसरे लोगों के लिए इन नियमों को लेकर इतना पाबंद रहता हो. यह कहां का न्याय संगत है कि उनके ही अंतिम संस्कार क्रिया कर्मों से जुड़े हुए इन कार्यों को 13 दिन के बजाय तीन दिन में ही करके मुक्त हो जाया जाए. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमें किसी से कोई परेशानी नहीं है, हमने अपने पिता का निरंतर सेवा किया है और हम उस जिम्मेदारी का भी निर्वहन करते हुए पूरे परंपरागत तरीके से उनसे जुड़े हुए सभी लोगों से मिलकर 13 वीं करेंगे.

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बेटे ने कहा- हम प्रचार प्रसार नहीं करेंगे 

पं. छन्नूलाल मिश्रा के निधन के बाद बेटे और उनके पौत्र ने अंतिम संस्कार में शामिल होकर उन्हें मुखाग्नि दी. उनका कहना है कि मैं अपने पिता का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से करूंगा और मैं इसमें किसी भी प्रकार का प्रचार नहीं चाहता हूं. बहन नम्रता द्वारा कहीं गई बातों से वह असहमत दिखे.