सप्ताह - माह की अवधि में लाखों की संख्या में पर्यटक सांस्कृतिक शहर बनारस पहुंचते हैं. प्रमुख त्योहार और तिथियों पर संख्या करोड़ों में भी होती है. दिनों दिन यह शहर पर्यटन क्षेत्र में एक नई ऊंचाई को छू रहा है. वैसे वाराणसी आने वाले पर्यटक कुछ खास जगह पर जाना खाना पसंद करते हैं. इस रिपोर्ट में जानते हैं कि वाराणसी पहुंचने वाले पर्यटकों की सबसे ज्यादा क्या मांग रहती है.
बाबा और काशी कोतवाल के दर्शन के लिए आतुर होते हैं भक्त
दूसरे शहरों से वाराणसी पहुंचने वाले पर्यटक सबसे पहले भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर और काशी कोतवाल काल भैरव मंदिर में दर्शन करने को लेकर उत्सुक दिखाई देते है. वह काशी वालों से अथवा अपने सहयोगियों से विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और काल भैरव मंदिर में दर्शन करने को लेकर सही समय के बारे में पूछते हैं. उनका मानना है कि उनकी काशी यात्रा तभी पूर्ण होगी जब इन दोनों धार्मिक स्थल पर वह दर्शन पूजन कर पाएंगे. उनकी प्राथमिकता इस बात पर रहती है कि काशी आने पर उन्हें किसी भी हाल में भगवान विश्वनाथ और यहां के कोतवाल माने जाने वाले काल भैरव का दर्शन प्राप्त हो जाए.
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बनारसी व्यंजन और साड़ी खरीददारी भी
धार्मिक स्थल पर दर्शन पूजन करने के बाद सबसे ज्यादा लोग यहां के खान-पान और पहनावे को लेकर पूछते दिखाई देते हैं. बनारस में बनने वाले स्वादिष्ट गोलगप्पा चाट मिठाइयां लोगों को खूब पसंद आते हैं. यात्रियों की इस बात पर प्राथमिकता रहती है कि बनारस के सबसे चर्चित दुकान पर वह पहुंचकर इन लजीज व्यंजनों का स्वाद चखे. वहीं बनारसी पोशाक में बनारस की साड़ी पूरी दुनिया में मशहूर है. न सिर्फ सामान्य दिनों में बल्कि त्योहार और शादी समारोह में लोग बनारसी साड़ी को पहनना काफी पसंद करते हैं. यहां पहुंचने वाली महिलाएं खासतौर पर बनारसी साड़ियां और सूट को चुनिंदा जगहों पर पहुंचकर खरीदना पसंद करती हैं.
गंगा आरती में जाना नहीं भूलते लोग
वाराणसी में गंगा घाट पर नियमित रूप से संध्या आरती की जाती है. वहीं काशी के इस अद्भुत अवधि का साक्षी बनने के लिए लोग घंटो पहले गंगा घाट पर पहुंच जाते.. खानपान दर्शन पूजन के अलावा लोग हर हाल में शाम को होने वाली गंगा घाट की आरती को देखना चाहते हैं. अक्सर अपने परिचितों से लोग पूछते दिखाई देते हैं कि वाराणसी के गंगा घाट पर होने वाली आरती का समय क्या होता है. ऐसे में निर्धारित समय से पहले ही लोग गंगा घाट की सीढ़ियों पर बैठकर आरती होने का इंतजार करते हैं.