उत्तर प्रदेश के कई जिले इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित हैं. वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ा तो किनारे पर परेशानी खड़ी हो गई. शवदाह गलियों में होने लगा और नाविकों के साथ पुरोहित समुदाय के आगे रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

वाराणसी में गंगा का जल का बढ़ाव शवदाह के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. हरिश्चन्द्र घाट पर गली में शवदाह करना पड़ रहा है. आलम ये है कि रोजाना 35 से ज्यादा शवो का दाह संस्कार किया जा रहा है.

अंतिम संस्कार के लिए एक घंटे के इंतजार के बाद शव की बारी आ रही है. शव यात्रा में आये लोग बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि गंगा का जलस्तर 4 सेमी प्रति घण्टा की रफ्तार से घट जरूर रहा है लेकिन दुश्वारियां अभी भी बदस्तूर जारी है.

जलभराव से गहराया रोजी-रोटी का संकट

गंगा में पानी बढ़ा तो नाविक और पुरोहित वर्ग के लिए जीविका का संकट खड़ा हो गया है. किनारे पर नौका शांत है और नाविक खाली बैठे हैं इसके साथ ही पुरोहितों के लिए जगह कम पड़ रही है लिहाजा एक चौकी पर पांच पुरोहित बैठ रहे हैं जिससे जीविका का संकट खड़ा हो गया है.

नाविकों की लगभग तीन लाख से ज्यादा आबादी और पुरोहितों की ढाई लाख से ज्यादा आबादी सीधे गंगा से जुड़ी हुई है. जब जलस्तर तो सुरक्षा की दृष्टि से नौका संचालन प्रतिबंधित हो गया.

पानी और बढ़ा तो पुरोहितों ने घाट के किनारे से अपनी चौकियां ऊपर ला दीं और जब पानी बढ़ा और जगह कम पड़ी तो एक चौकी पर पांच लोग बैठ रहे हैं. परेशानी चरम पर है, अब ये समुदाय सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं.

दशाश्वमेध घाट भी जलमग्न

बता दें कि गंगा का क्रोध भले ही शांत हो गया हो लेकिन मणिकर्णिका घाट, काशी विश्वनाथ धाम का गंगा द्वार, दशाश्वमेध घाट या फिर शीतला मंदिर सब कुछ जलमग्न है.

हालात यह हैं कि मणिकर्णिका घाट की छत पर शवदाह हो रहा है. शवयात्रा में आये लोग शवदाह के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं. जलप्रलय का ये दृश्य सबको डरा रहा है, निगरानी के लिये जल पुलिस तैनात है. इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें भी लगाई गई हैं.