Varanasi News: बीते दिनों काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे एम्स के निदेशक ने चिकित्सा संस्थानों में मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं और व्यवस्थाओं को देखा. अब इसके बाद IMS-BHU को एम्स का दर्जा मिल चुका है. खुद इसकी पुष्टि एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान IMS के निदेशक एस.एन. शंखवार ने की है. निश्चित ही इस उपलब्धि के बाद सिर्फ वाराणसी और आसपास के जनपद से ही नहीं बल्कि बिहार झारखंड के अलावा विदेशी धरती नेपाल से भी इलाज के लिए आने वाले लोगों को अच्छी सुविधा मिलेगी.
संभवत मार्च 2025 से चिकित्सा संस्थान को एम्स के तर्ज पर अनुदान मिल सकेगा, जिससे बेहतर इलाज के लिए मरीजों को कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं होगी. IMS-BHU को AIIMS का दर्जा मिलने के बाद IMS निदेशक से एबीपी न्यूज ने बातचीत की. उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सभी मरीजों के बेहतर इलाज के लिए चिकित्सा संस्था हमेशा तत्पर रही है.
उन्होंने कहा कि अब एम्स का दर्जा मिलने के बाद AIIMS जैसी शैक्षणिक व्यवस्था और आधुनिक व्यवस्थाओं से युक्त इलाज को हम अपने यहां भी प्रदान कर सकेंगे. निश्चित ही हमारा प्रयास रहेगा की उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, नेपाल तक से IMS-BHU इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कहीं और न जाना हो.
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मई 2025 तक जमीन पर भी दिखने की संभावनाइसके अलावा उन्होंने यह भी जानकारी देते हुए बताया कि BHU में IMS की तरफ से 2 और 3 दिसंबर को स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया जाएगा, इसमें मरीज किस प्रकार से 100 वर्ष दीर्घायु जीवन प्राप्त कर सकें. उसके बारे में जानकारी दी जाएगी. यह स्वास्थ्य मेला सुबह 10:00 बजे से शुरू होगा. विभिन्न विभागों की तरफ से स्टॉल लगाए जाएंगे. इसके बाद 4 दिसंबर को IMS के 64वें वार्षिकोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा.
BHU के सर सुंदर दास अस्पताल में इलाज के लिए वाराणसी जनपद से कहीं अधिक जौनपुर, सुल्तानपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, बलिया, चंदौली, भदोही सहित बिहार, झारखंड और नेपाल से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. यहां के चिकित्सा संस्थान के अलग-अलग विभागों की OPD में तकरीबन 8 हजार से अधिक मरीज रोजाना चिकित्सा परामर्श लेते हैं. एम्स का दर्जा मिलने के बाद इन मरीजों को इसी केंद्र पर बेहतर इलाज मिल सकेगा. संभावना जताई जा रही है कि IMS-BHU के AIIMS दर्जा का सकारात्मक परिणाम मई 2025 तक जमीन पर भी दिखने लगेगा.