उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 16 दिन से उसमें फंसे सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार शाम बाहर निकाल लिया गया. हादसे और उसके बाद चलाए गए बचाव अभियान का घटनाक्रम इस प्रकार है-


12 नवंबर: दिवाली के दिन सुबह साढ़े पांच बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 41 श्रमिक फंसे. उत्तरकाशी जिला प्रशासन द्वारा बचाव कार्य शुरू किया गया और कंप्रेशर से दबाव बनाकर पाइप के जरिए फंसे श्रमिकों के लिए ऑक्सीजन, बिजली और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिवादन बल, सीमा सड़क संगठन और परियोजना का निर्माण करने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस आदि विभिन्न एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हुईं.


13 नवंबर: ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले पाइप के जरिए सुरंग में फंसे श्रमिकों से संपर्क स्थापित हुआ. बचाव कार्यों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर पहुंचे. सुरंग के ढहे हिस्से पर जमे मलबे को हटाने में कोई खास प्रगति नहीं मिली, जबकि ऊपर से भूस्खलन जारी रहने से बचाव कार्य मुश्किल हुआ. इसकी वजह से 30 मीटर क्षेत्र में जमा मलबा 60 मीटर तक फैल गया. बिखरे मलबे को ‘शाटक्रीटिंग’ की मदद से ठोस करने और उसके बाद उसे भेदकर उसमें बड़े व्यास के स्टील पाइप डालकर श्रमिकों को बाहर निकालने की रणनीति बनाई गई.


14 नवंबर : ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें डालने के लिए 800 और 900 मिमी व्यास के पाइप मौके पर लाए गए. सुरंग में मलबा गिरने और उसमें मामूली रूप से दो बचावकर्मियों के घायल होने से बचाव कार्यों में बाधा आई. विशेषज्ञों की एक टीम ने सुरंग और उसके आसपास की मिट्टी की जांच के लिए सर्वेक्षण शुरू किया. सुरंग में फंसे लोगों को खाना, पानी, ऑक्सीजन और बिजली की आपूर्ति जारी रही. सुरंग में कुछ लोगों ने उल्टी की शिकायत की जिसके बाद उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध कराई गईं.


15 नवंबर: पहली ड्रिलिंग मशीन के प्रदर्शन से असंतुष्ट एनएचआईडीसीएल ने बचाव कार्य तेज करने के लिए दिल्ली से अत्याधुनिक अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई.


16 नवंबर : उच्च क्षमता वाली अमेरिकी ऑगर मशीन जोड़कर सुरंग में स्थापित की गई. इसने मध्यरात्रि के बाद काम शुरू किया.


17 नवंबर: रात भर काम करने के बाद मशीन ने 22 मीटर तक ड्रिल कर चार स्टील पाइप डाले. पांचवें पाइप को डाले जाने के दौरान मशीन के किसी चीज से टकराने से जोर की आवाज आई, जिसके बाद ड्रिलिंग का काम रोका गया. मशीन को भी नुकसान हुआ. इसके बाद, बचाव कार्यों में सहायता के लिए उच्च क्षमता की एक और ऑगर मशीन इंदौर से मंगाई गई.


18 नवंबर: सुरंग में भारी मशीन से कंपन को देखते हुए मलबा गिरने की आशंका के चलते ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई. प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों की टीम और विशेषज्ञों ने पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया जिनमें सुरंग के ऊपर से 'लंबवत' ड्रिलिंग कर श्रमिकों तक पहुंचने का विकल्प भी शामिल था.


19 नवंबर: ड्रिलिंग निलंबित रही जबकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव अभियान की समीक्षा करने के बाद कहा कि विशाल ऑगर मशीन से क्षैतिज रूप से ड्रिलिंग करना सबसे अच्छा विकल्प प्रतीत होता है.


20 नवंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बचाव अभियान का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से फोन पर बात की. हालांकि टीम क्षैतिज ड्रिलिंग शुरू नहीं कर पाई थी जो ऑगर मशीन के एक बड़े पत्थर से टकराने के बाद बंद हो गई थी.


21 नवंबर: बचावकर्मियों ने फंसे मजदूरों का पहला वीडियो जारी किया. पीले और सफेद हेलमेट पहने हुए मज़दूर पाइपलाइन के जरिए भेजे गए खाद्य पदार्थों को लेते हुए और एक-दूसरे से बात करते हुए दिखाई दिए. सुरंग के बालकोट-छोर पर दो विस्फोट किए गए, जिससे एक और सुरंग खोदने की प्रक्रिया शुरू हुई- जो सिल्कयारा छोर का विकल्प था. लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि इस योजना में 40 दिन तक का समय लग सकता है. एनएचआईडीसीएल ने ऑगर मशीन से रात में सिल्क्यारा छोर से क्षैतिज ड्रिलिंग शुरू की.


22 नवंबर: 800 मिमी व्यास वाले स्टील पाइपों की क्षैतिज ड्रिलिंग लगभग 45 मीटर तक पहुंची और लगभग 57 मीटर के मलबे में से केवल 12 मीटर की ड्रिलिंग शेष बची. एम्बुलेंस को तैयार रखा गया. देर शाम ड्रिलिंग में तब बाधा आई जब कुछ सरिये ऑगर मशीन के रास्ते में आ गए.


23 नवंबर: ड्रिलिंग में जिन सरियों की वजह से छह घंटे की देरी हुई, उन्हें हटाया गया. अधिकारियों ने कहा कि ड्रिलिंग से 48 मीटर के बिंदु तक पहुंचा गया. लेकिन जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन रखी गई थी, उसमें दरारें दिखाई देने के बाद ड्रिलिंग को फिर से रोका गया.


24 नवंबर: 25 टन की मशीन को फिर से शुरू किया गया और ड्रिलिंग फिर से शुरू की गई. हालांकि, मशीन के एक धातु गर्डर से टकराने से ड्रिलिंग में नयी बाधा आई जिससे अभियान को फिर से रोकना पड़ा.


25 नवंबर: ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंसे जिसके बाद अधिकारियों को दूसरे विकल्पों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इनमें बचाव अभियान कई दिनों, यहां तक कि कई हफ्तों तक खिंच सकता था. अधिकारी अब दो विकल्पों पर विचार कर रहे थे- पहला कि मलबे में शेष 10-12 मीटर की ड्रिलिंग को हाथों के जरिए किया जाए या ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग की जाए.


26 नवंबर: वैकल्पिक निकास मार्ग बनाने के लिए 19.2 मीटर की लंवबत ड्रिलिंग की गई. जैसे-जैसे ड्रिलिंग आगे बढ़ी, निकालने का रास्ता बनाने के लिए 700 मिमी चौड़े पाइप डाले जाते रहे.


27 नवंबर: 'रैट होल माइनिंग' विशेषज्ञों को बचावकर्मियों की मदद के लिए तब बुलाया गया जब मलबे में करीब 10 मीटर की क्षैतिज खुदाई करना रहता था. इसके साथ ही सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग करके 36 मीटर की गहराई तक पहुंचा गया.


28 नवंबर: शाम करीब सात बजे बचावकर्मियों ने मलबे को पूरी तरह से भेदा. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए स्टील पाइप में प्रवेश किया और उन्हें एक-एक करके बाहर निकालना शुरू किया. रात करीब पौने नौ बजे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सभी 41 मजदूरों को सकुशल सुरंग से बाहर निकाल लिया गया है.