उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में 5 अगस्त को बादल फटने और भूस्खलन से आई तबाही के बाद राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं. अब तक 1273 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन लगातार बारिश और खराब मौसम बचाव कार्यों में बाधा डाल रहे हैं. हर्षिल के पास तेलगाड में मलबे के कारण भागीरथी नदी में बनी एक बड़ी झील राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि इस खतरे को कम करने के लिए 30 लोगों का दल मैनुअल तरीके से झील को चैनलाइज करेगा, क्योंकि सड़कों के बंद होने से भारी मशीनें नहीं पहुंच पा रही हैं.
सीएम लगातार कर रहे समीक्षा
मुख्यमंत्री धामी ने रविवार शाम देहरादून में आपदा प्रबंधन केंद्र में अधिकारियों के साथ बैठक की और राहत कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने एबीपी लाइव को बताया कि हमारी प्राथमिकता अधिकतम लोगों को सुरक्षित निकालना और सहायता पहुंचाना है. नुकसान का आकलन करने के लिए एक कमेटी गठित की गई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह लगातार संपर्क में हैं और केंद्र सरकार हर संभव मदद प्रदान कर रही है.
लापता लोगों की तलाश तेज
धराली में खोज और बचाव अभियान का दूसरा चरण शुरू हो गया है. उत्तराखंड के डीजीपी दीपम सेट ने रविवार को पुलिस मुख्यालय में बैठक कर अधिकतम मानव और तकनीकी संसाधनों का उपयोग करने के निर्देश दिए. आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी को इंसिडेंट कमांडर और कमांडेंट एसडीआरएफ अर्पण यदुवंशी को डिप्टी कमांडर नियुक्त किया गया है. डीजीपी ने लापता लोगों की तलाश के लिए सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन पर विशेष ध्यान देने को कहा.
मार्ग अवरुद्ध होने से बढ़ रहीं चुनौतियां
हर्षिल के पास बनी झील को लेकर पोकलेन मशीनों से मलबा हटाने की योजना थी, लेकिन सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण मैनुअल चैनलाइजेशन का फैसला लिया गया. प्रशासन ने हर्षिल, जीएमवीएन, और झाला में राहत शिविर स्थापित किए हैं. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, और एसडीआरएफ की टीमें समन्वय के साथ कार्य कर रही हैं. गंगोत्री हाईवे सहित कई मार्ग बंद होने से बचाव कार्यों में चुनौतियां बढ़ रही हैं.