Uttarakhand Glacier: उत्तराखंड में केदारनाथ के पास कुछ ग्लेशियर पिघलते हुए पाए गए थे जिससे आने वाले वक्त में भारी नुकसान हो सकता है. इसको लेकर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सुशांत पटनायक से एबीपी लाइव ने बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई शोध तो अभी तक हम लोगों ने नहीं किया है, लेकिन ये बात सही है कि केदारनाथ में लगातार इतने लोग जा रहे हैं और पॉल्यूशन हो रहा है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं.


इस बार केदारनाथ यात्रा के लिए 55 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं और उनका आना अब भी जारी है, ऐसे में गाड़ियों की आवाज और पॉल्यूशन की वजह से ग्लेशियर पिघलने की समस्या सामने आ रही है. सुशांत पटनायक ने कहा, केदारनाथ में अनियंत्रित रूप से जिस तरह से गाड़ियां जा रही हैं उसके पॉल्यूशन से इस प्रकार के खतरे सामने आ रहे हैं लेकिन अभी कोई ऐसा इंडिकेशन नहीं मिला है कि वहां पर ज्यादा एयर पॉल्यूशन हो रहा है. हालांकि पीसीबी जल्द ही इस विषय पर शोध शुरू करेगा. 


श्रद्धालुओं की वजह से बढ़ा पॉल्यूशन!


सुशांत पटनायक ने कहा पिछले दो सालों में चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है. वहां बड़ी संख्या में गाड़िया आ जा रही है तो जाहिर है यहां एयर पॉल्यूशन की स्थिति बनी होगी. हमारी इमर्जिंग एयर पोल्यूटेंट है उस रीजन में उसको स्टडी करने के लिए अभी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और गढ़वाल यूनिवर्सिटी एक स्टडी करने जा रही है और स्टडी हो जाने के बाद ही हमें पता चल पाएगा कि ग्लेशियर मेल्टिंग, वहां पर ज्यादा व्हीकल जाने से या किसी दूसरा इंसानी एक्टिविटी की वजह से हो रही है या नहीं. 


"ग्लेशियर पिघल रहे हैं"


शोध में जांच की जाएगी कि एयर पोल्यूटेंट्स की स्थिति क्या है और उसके निवारण के लिए उसको रिड्यूस करने की दिशा में हम क्या-क्या कार्रवाई कर सकते हैं. वर्तमान में हमारे पास ऐसा कोई शोध या कोई इंडिकेशन नहीं है कि वहां पर एयर पॉल्यूशन बहुत ज्यादा हो रहा है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ग्लेशियर पिघल रहे हैं. 


Air Pollution: नोएडा-गाजियाबाद में सांस लेना हुआ मुश्किल, AQI पहुंचा 475 के पार, अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या