उत्तराखंड में पत्रकार राजीव प्रताप सिंह की मौत मामले की जांच के लिए डीएसपी उत्तरकाशी के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया है. ये टीम इस मामले में मिले सभी साक्ष्यों का दोबारा अवलोकन कर अन्य तमाम पहलुओं की जांच करेगी. इससे आगे क्रैश इंपेक्ट विश्लेषण भी कराया जाएगा.

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पत्रकार राजीव प्रताप सिंह 19 सितंबर को उत्तरकाशी से लापता हुए थे. पुलिस को उनके लापता होने की सूचना मिलने के बाद उनकी तलाश की गई तो अगले दिन नदी में 55 मीटर नीचे उनकी कार मिली थी. लेकिन, उनका कोई पता नहीं लग पाया था. कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी. 

सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाएगी

इस मामले में राजीव प्रताप के परिजनों ने उनके अपहरण की शिकायत कराई थी. इसके आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है और अब कई पहलुओं पर जांच की जा रही है. उत्तरकाशी बाजार और आसपास के सीसीटीवी कैमरा की फुटेज चेक की जा रही है.

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बता दें कि 28 सितंबर को राजीव प्रताप का शव बरामद हुआ था. उनके शव का पोस्टमार्टम कराया गया है. डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि इस पूरे मामले में अब तक हुई जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अवलोकन और अग्रिम जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है. 

मामले की जांच के लिए टीम गठित

उत्तरकाशी के डीएसपी के नेतृत्व में यह टीम बनाई गई है. यह टीम कॉल डिटेल के आधार पर भी जांच करेगी. बता दें कि राजीव के परिजनों की शिकायत थी कि राजीव प्रताप को जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं. ऐसे में इस तथ्य की जांच के लिए विभिन्न लोगों के बयान भी लिए जाएंगे. जांच की निगरानी उत्तरकाशी की एसपी के नेतृत्व में होगी.

पत्रकार राजीव प्रताप की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत सीने और पेट में अंदरूनी चोटों के कारण हुई थी. पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी. डॉक्टर ने बताया कि ऐसी चोटें दुर्घटनाओं के दौरान लगती हैं. उत्तरकाशी की अधीक्षक सरिता डोभाल ने कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पत्रकार के शरीर पर किसी भी तरह के हमले के निशान नहीं मिले हैं.

वहीं, पत्रकार राजीव प्रताप की पत्नी ने इस मामले में कहा है कि उनके पति को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ खबरें चलाई थीं, जिसके बाद से ही उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं. राजीव प्रताप की पत्नी ने पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. 

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