मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने खनन क्षेत्र में व्यापक सुधार करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है. खनन सुधारों के प्रभावी क्रियान्वयन और पारदर्शी व्यवस्था के चलते उत्तराखंड ने देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है. इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए केंद्र सरकार ने राज्य को ₹200 करोड़ की प्रोत्साहन राशि प्रदान की है, जिससे राज्य के खनन सुधारों पर केंद्र की मुहर भी लग गई है.

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धामी सरकार के कार्यकाल में खनन क्षेत्र को पारदर्शी, तकनीक-आधारित और जवाबदेह बनाने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए गए हैं. राज्य में ई-नीलामी प्रणाली लागू कर खनन लॉट के आवंटन को पूरी तरह पारदर्शी बनाया गया है. इसके साथ ही सेटेलाइट आधारित निगरानी, आधुनिक माइनिंग सर्विलांस सिस्टम, सख्त अनुपालन व्यवस्था और अवैध खनन पर प्रभावी रोक लगाने के लिए ठोस कार्यवाही की गई है. इन सुधारों से न केवल अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगा है, बल्कि सरकारी राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

खनन सुधारों का सीधा असर राज्य की आय पर पड़ा है. जहां पहले खनन से होने वाला राजस्व लगभग ₹300 करोड़ था, वहीं अब यह बढ़कर करीब ₹1200 करोड़ तक पहुंच गया है. खनन क्षेत्र आज उत्तराखंड सरकार की आय का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिली है.

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स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर

खनन सुधारों में शानदार प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2025–26 के लिए 'पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना (SASCI)' के तहत उत्तराखंड को ₹200 करोड़ की विशेष सहायता (ऋण) स्वीकृत की है. यह राशि माइनर मिनरल्स सुधारों और स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स से जुड़े कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए दी गई है, जिससे खनन क्षेत्र में और अधिक सुधार संभव हो सकेंगे.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सहयोग उत्तराखंड के खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और सतत विकास को नई गति देगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस धनराशि का उपयोग खनन व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित, पर्यावरण-संवेदनशील और रोजगारोन्मुखी बनाने में करेगी. इससे न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे.