Uttarakhand News: उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर स्थित गुरुद्वारा नानकपुरी टांडा साहिब (Gurudwara Nanakpuri Tanda Sahib) देश विदेश के लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का प्रमुख केंद्र है. गुरुद्वारा नानकपुरी टांडा साहिब में भारत के विभिन्न प्रदेशों के साथ साथ आस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका सहित कई देशों से सिख धर्म के श्रद्धालु हर साल गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेकने आते हैं. मान्यता है कि सिख धर्म के गुरु गुरुनानक देव जी महाराज 1554 में जिस स्थान पर आकर रुके थे उसी स्थान पर गुरुद्वारा श्री नानकपुरी टांडा साहिब की स्थापना की थी. 


भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद ग्राम नानकपुरी टांडा क्षेत्र में रहने आए सिख परिवारों ने 1958 को गुरुद्वारा नानकपुरी टांडा साहिब की स्थापना की. तब से लेकर अब तक हर साल उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा सहित देश और विदेश के लाखों श्रद्धालुओं प्रतिवर्ष गुरुद्वारा श्री नानकपुरी टांडा साहिब पहुंचकर मत्था टेकते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं. 


गुरुनानक देव जी से है गहरा नाता
गुरुद्वारा नानकपुरी टांडा के कथावाचक भाई हरदीप सिंह ने बताया कि मुगल काल के दौरान 1554 में रोहिलखंड में रुहेला पठानों की रियासत हुआ करती थी. यहां पर इंसानों को पशुओं की तरह बाजार में खरीदा और बेचा जाता था, जिसकी बिक्री हो जाती थी उसके साथ पशुओं की तरह व्यवहार किया जाता था. इसके अत्याचारों को रोकने के लिए गुरुनानक देव जी महाराज यहां पहुंचे, तो उनको रुहेला पठानों ने अपनी हिरासत में ले लिया, और फिर उनसे कठिन काम कराने लगे.


स्थापना के पीछे है यह कहानी
तभी गुरुनानक देव जी महाराज ने उन्हें अपनी शक्ति दिखाईं, तो पठानों ने उनसे माफी मांगी और मानव की खरीद फरोक बंद कर दी. उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद भारत आए सिख समुदाय के लोगों ने जिस जगह श्री गुरु नानक देव जी महाराज रुके थे उसी स्थान पर 1958 में गुरुद्वारा श्री नानकपुरी टांडा की स्थापना की.


1973 में शुरू हुई थी कारसेवा
गुरुद्वारा की स्थापना के बाद के 1973 से बाबा फौजा सिंह जी और बाबा हरबंश सिंह जी ने कारसेवा की शुरुआत की थी. जो अब संत बाबा वचन सिंह जी दिल्ली वालों के द्वारा की गुरुद्वारे के प्रबंधन के साथ-साथ स्कूल भी चलाया जा रहा है. इसके साथ ही जगह-जगह पर पुलों का निर्माण और आपदा के समय पर पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री पहुंचाई जाती है. (उधम सिंह नगर से वेद प्रकाश यादव की रिपोर्ट)


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