Uttarakhand Jim Corbett Park: उत्तराखंड (Uttarakhand) में वन विभाग (Forest Department) के लिए बड़ी खबर है. उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट पार्क में बाघों की संख्या तो तेजी से बढ़ ही रही है, साथ ही अन्य जीव जंतुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है. कॉर्बेट पार्क में गिद्ध संरक्षण के लिए प्रशासन की मेहनत रंग लाने लगी है. पार्क में गिद्धों को संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है, जो धीरे-धीरे दुनिया से विलुप्ति की कगार पर पहुंच रहे हैं.


कॉर्बेट पार्क प्रशासन के द्वारा अब इन गिद्धों की आवाजाही और इनके वास स्थल को लेकर कॉर्बेट पार्क प्रशासन ने कुछ गिद्धों के टैग लगाकर इनकी मॉनिटरिंग शुरू की है. इनके ऊपर लगाए गए टैग के माध्यम से सेटेलाइट के जरिए इन पर नजर रखी जाएगी ताकि इनके आवागमन पर नजर रखी जा सके और इनके वास स्थल के बारे में सही और सटीक जानकारी मिल पाए. 


गिद्धों की संख्या में इजाफा
कॉर्बेट पार्क में मुख्यरूप से गिद्धों की किंग वल्चर, हिमालयन ग्रिफोन वाइट रंप्ड प्रजाति पाई जाती है. पूर्व में सबसे अधिक नुकसान वाइट रंप्ड प्रजाति को हुआ था, लेकिन कॉर्बेट पार्क प्रशासन की मजबूत संरक्षण नीति के चलते अब इन गिद्धों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.


डायरेक्टर कॉर्बेट, धीरज पांडे ने एबीपी लाइव से बात करते हुए बताया कि हमने कॉर्बेट पार्क के विभिन्न इलाकों से कुछ गिद्धों को टैग लगाए हैं ताकि हमें पता लग सके कि कॉर्बेट पार्क से जाने के बाद ये गिद्ध कहां जाते हैं, इसके लिए हम इन पर सेटेलाइट के जरिए नजर रखेंगे ताकि हमें पता लग सके कि कॉर्बेट नेशनल पार्क से उड़कर ये गिद्ध किन इलाकों तक जाते हैं. फिलहाल हमने कुछ गिद्धों पर यह टैग लगाए हैं जिससे हमें ये जानकारियां प्राप्त हो सकेंगी जो इनके संरक्षण में काफी महत्वपूर्ण साबित होगी.


हर साल आते हैं लाखों पर्यटक
गिद्धों की संख्या न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में धीरे-धीरे कम होती जा रही है. यहां तक कि अब यह गिद्ध विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं, लेकिन अपनी विविधता के लिए पहचान रखने वाले कॉर्बेट नेशनल पार्क में इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.


इनके कई घोंसले कॉर्बेट नेशनल पार्क के विभिन्न इलाकों में मौजूद हैं. इनके संरक्षण में कार्बेट पार्क प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. कॉर्बेट पार्क को अमूमन बाघों के लिए जाना जाता है, लेकिन शायद यह कम ही लोग जानते हैं कि यहां पर पक्षियों की 500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है. जिन्हें देखने हजारों और लाखों की संख्या में पर्यटक हर साल पहुंचते हैं.


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