Uttarakhand Election : उत्तराखंड में चुनाव की तारीखों  के ऐलान के बाद सभी दलों ने चुनावी तैयारी शुरु कर दी है. पहले चरण के लिए टिकटों का ऐलान भी कर दिया गया है. वहीं टिकट नहीं दिए जाने पर नेता पार्टी बदल रहे हैं. बीजेपी में टिकट नहीं दिए जाने पर मजबूत दावेदारों में असंतोष की भावना पैदा हो गई और इनमें से कई ने या तो दूसरी पार्टियों में चले जाने या निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी ने 59 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में कई सीटों पर समर्पित पार्टी कैडर पर कांग्रेस के दलबदलुओं को तरजीह दी है, जबकि टिकट से वंचित किए गए कई लोग अपनी आहत भावनाओं के साथ खुलकर सामने आ गए हैं.


टिकट नहीं मिलने पर नाराज हैं नेता
आपको बता दें कि इनमें से सबसे बड़े नाम थराली से मौजूदा विधायक मुन्नी देवी शाह और द्वाराहाट विधायक महेश नेगी के हैं. शाह ने कहा, “पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को यह बताना चाहिए कि मुझे टिकट क्यों नहीं दिया गया. मैंने केंद्र एवं राज्य सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के साथ ही अपने निर्वाचन क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास कार्य किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें दुख नहीं होता अगर पार्टी ने सीट से समर्पित पार्टी कार्यकर्ता को उनकी जगह टिकट दिया होता लेकिन उसने कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी को तवज्जो दी. इस सीट से मौजूदा विधायक एवं अपने पति मगन लाल शाह के निधन के बाद 2018 में उपचुनाव में जीतने वाली शाह ने कहा, “इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है.’’


गोपाल रावत बना रहे कांग्रेस में जाने की योजना
विधायक मुन्नी देवी शाह ने कहा कि उनके समर्थक उन पर दबाव बना रहे हैं कि वह सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ें. यहां बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए भोपाल राम टम्टा को उतारा है. सितंबर 2020 में बलात्कार के एक मामले के आरोपी, नेगी ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत टिकट नहीं दिया गया है. सभी संगठनात्मक सर्वेक्षणों में उनका नाम सबसे ऊपर था फिर भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया. नरेंद्र नगर सीट से टिकट के मजबूत दावेदार माने जा रहे ओम गोपाल रावत कांग्रेस में शामिल होने की योजना बना रहे हैं. बीजेपी ने इस सीट से एक बार फिर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को उतारा है.


बीजेपी  है केवल सत्ता की भूखी
ओम गोपाल रावत ने कहा, “बीजेपी समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं की परवाह नहीं करती जो संगठन को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत करते हैं. इसके कोई सिद्धांत या मूल्य नहीं हैं. यह बस सत्ता चाहती है.” पूर्व विधायक महावीर रांगड़ भी बीजेपी द्वारा धनौल्टी से प्रीतम सिंह पवार को उतारे जाने से नाखुश हैं. उन्होंने शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं की राय ली और कहा कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे.  घनसाली से प्रत्याशी, दर्शन लाल ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है.कर्णप्रयाग से टिकट पाने की कोशिश कर रहे टीका मैखुरी ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने की धमकी दी है क्योंकि पार्टी ने सीट से अनिल नौटियाल को उतारा है. 


मनोज शाह ने किया पार्टी छोड़ने की धमकी
भीमताल में मनोज शाह ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी है क्योंकि पार्टी ने सीट से मौजूदा निर्दलीय विधायक राम सिंह कैरा को उतारा है जो पिछले साल के आखिर में बीजेपी में शामिल हो गए थे. उन्होंने कहा, “मैं 2002 से सीट से टिकट की दौड़ में हूं. मुझे टिकट न देना अन्याय है. मैं निर्दलीय के तौर पर लड़ेंगे.” पार्टी के अंदर के मिजाज को भांपते हुए, बीजेपी ने कहा कि असंतोष स्वाभाविक है और यह कड़वाहट कुछ दिनों में खत्म हो जाएगी. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, “एक सीट से टिकट के कई दावेदार हो सकते हैं लेकिन यह सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर ही एक को दिया जा सकता है. केंद्रीय नेतृत्व का फैसला सभी को मानना चाहिए.” उन्होंने कहा, “बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है. यह उनकी शुरुआती प्रतिक्रिया है. मुझे पूरा विश्वास है कि वे समझेंगे.”


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