उत्तराखंड में अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. राज्य सरकार के कई स्थानांतरण आदेशों को लेकर अधिकारी न्यायालय की शरण में जा रहे हैं. इसी क्रम में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में चकराता वन प्रभाग में तैनात उप प्रभागीय वनाधिकारी (SDO) राजीव नयन नौटियाल के स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है.

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30 मार्च को अगली सुनवाई

हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा शामिल हैं, मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च 2026 को निर्धारित की गई है.

केवल एक साल में हुआ तबादला

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राजीव नयन नौटियाल ने अपने वर्तमान तैनाती स्थल पर केवल एक वर्ष का ही कार्यकाल पूरा किया है. ऐसे में उनका स्थानांतरण उत्तराखंड लोक सेवकों के वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन है. याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि अधिनियम के तहत निर्धारित न्यूनतम कार्यकाल से पहले स्थानांतरण केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है.

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याचिकाकर्ता की ओर से यह गंभीर आरोप भी लगाया गया कि अधिकारी को इसलिए स्थानांतरित किया गया क्योंकि वे आरक्षित वन क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों का लगातार विरोध कर रहे थे. इस पर अदालत ने राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा.

सरकार ने दी यह दलील

राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि अधिनियम की धारा 21(3) के अंतर्गत आवश्यक अनुमोदन लेकर जनहित में यह स्थानांतरण किया गया है. हालांकि, अदालत ने इस दलील पर असंतोष जताते हुए कहा कि धारा 21(3) के तहत स्थानांतरण तभी वैध माना जा सकता है जब वह अधिनियम के अन्य सभी प्रावधानों के अनुरूप हो.

उच्च न्यायालय का फैसला 

खंडपीठ ने यह भी नोट किया कि राज्य सरकार यह स्पष्ट नहीं कर पाई कि स्थानांतरण प्रक्रिया में अधिनियम के किन-किन नियमों का पालन किया गया. इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने अगले आदेश तक स्थानांतरण आदेश के प्रभाव और संचालन पर रोक लगा दी है. साथ ही निर्देश दिए हैं कि यदि अधिकारी को कार्यमुक्त कर दिया गया है तो उन्हें तत्काल पूर्व पद पर कार्यभार ग्रहण करने दिया जाए. गौरतलब है कि राजीव नयन नौटियाल का स्थानांतरण 12 दिसंबर 2025 को उत्तराखंड वानिकी अकादमी, हल्द्वानी किया गया था.