Uttarkashi News: उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों में बच्चे खुले आसमान के नीचे 2 से 4 डिग्री तापमान में पढ़ाई कर रहे हैं. स्कूल में शिक्षक भी हैं और छात्र संख्या भी 400 के पार है लेकिन स्कूल का जर्जर भवन बच्चों को ठिठुरते हुए ही अपनी पढ़ाई करने पर मजबूर कर रहा है. अपना भविष्य तलाशते हुए ये बच्चे उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक के सुदूरवर्ती क्षेत्र सांकरी राजकीय इंटर कॉलेज की हैं. यह आधुनिक भारत की हकीकत को बंया कर रहा है.
404 बच्चों के भविष्य का सवालशायद ये तस्वीर सरकारों और एसी में बैठे अधिकारियों के लिए प्लास्टिक के खिलौने की तरह होंगी लेकिन ये 404 बच्चों के भविष्य का सवाल है. तहसील मुख्यालय मोरी से महज 16 किमी की दूरी पर स्थित सांकरी इंटरमीडिएट कॉलेज में आस पास के 8 गांव के बच्चे टूटी-फूटी दीवारों और छत पर सड़ी-गली बल्लियों के उपर लगी टपकती टीन के नीचे बैठने को मजबूर हैं.
वादों को आइना दिखा रहेइन छात्रों का दुर्भाग्य तो देखें. सूबे के शिक्षा मंत्री हाई टेक शिक्षा प्रणाली की बात करते हैं लेकिन मोरी ब्लॉक के सांकरी राजकीय इंटर कॉलेज के स्कूल के जर्जर भवन उनके वादों को आइना दिखा रहे हैं. ये छात्र-छात्राएं हाईटेक शिक्षा के वजाय खुले आसमान के नीचे 2 से 4 डिग्री तापमान में जमीन पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
29 साल बाद भी नहीं बदली सूरतहाकम सिंह रावत (जिला पंचायत सदस्य सांकरी) ने बताया कि मोरी ब्लॉक में सात इंटरमीडिएट कॉलेज हैं और ताज्जुब कि बात है कि ये विद्यालय अपने जर्जरता के अंतिम आंसू बहा रहे हैं. भाजपा के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत भी कई बार जिम्मेदार महकमे से लेकर सरकार को स्कूल की बदहाली के लिए लिख चुके हैं लेकिन 29 सालों बाद भी स्कूल की सूरत जस की तस बनी हुई है.
परीक्षा के लिए दूर जाना पड़ता हैप्रधानाचार्य प्रदीप कुमार सेमवाल ने बताया कि बरसात के मौसम में भवन की छत टपकती है तो ठण्ड के मौसम में पाले से दरी गीली हो जाती है. बच्चे मजबूरी में स्कूल के चारदीवारी के उपर बैठ कर शिक्षा ले रहे हैं. वर्ष 1992 में स्थापित जूनियर विद्यालय से शुरू होकर वर्ष 2014 में विद्यालय इंटरमीडिएट तक हो गया लेकिन इसके 7 वर्ष बाद भी भवन में सुविधा और अन्य जरूरी स्कूली जरुरतों की सूरत नहीं बदली जा सकी. बच्चो को अपने बोर्ड एग्जाम देने को अपने स्कूल के बजाय 12 किमी दूर दूसरे स्कूल में जाना पड़ता है.
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