Uttarakhand News: उत्तराखंड में टेक होम राशन योजना को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल प्रदेश में तकरीबन 165 महिला स्वयं सहायता समूह टेक होम योजना के तहत राशन वितरित करती हैं, लेकिन केंद्र सरकार (Central Government) के निर्देशों के बाद टेक होम राशन योजना (Take Home Ration Scheme) में बदलाव करने की तैयारी है, जिसके बाद यह काम इन स्वयं सहायता समूह से छिन जाएगा. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) का कहना है कि राज्य सरकार (Uttarakhand Government) ने फिलहाल इन सभी समूह को टेक होम राशन योजना के तहत राशन वितरित करने के लिए मना कर दिया है. इससे तकरीबन हजारों महिलाएं बेरोजगार हो जाएंगी.


स्वयं सहायता समूह का आरोप
उत्तराखंड में टेक होम राशन योजना की शुरुआत कांग्रेस सरकार (Congress Government) के दौरान 2014 में की गई थी. इस योजना के जरिए महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के साथ-साथ सशक्त करने की प्लानिंग थी, लेकिन जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने 2021 में भी इस योजना को बंद करके ई टेंडरिंग के जरिए 652 करोड़ रुपए का काम निजी कंपनी को देने की योजना बनाई थी, लेकिन महिलाओं के विरोध के बाद यह टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई थी. एक बार फिर से राज्य सरकार की इसी प्लानिंग को देखते हुए स्वयं सहायता समूह अपने रोजगार के लिए चिंतित होने लगी हैं. महिलाओं का आरोप है कि सरकार इस योजना को बंद करके किसी निजी कंपनी को यह काम देना चाहती है. वहीं इन स्वयं सहायता समूह का यह भी आरोप है कि पिछले लंबे समय से इनको भुगतान भी नहीं किया गया है.


कांग्रेस ने सरकार को घेरा
कांग्रेस ने भी टीएचआर योजना को बंद करने पर सरकार पर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस का यह आरोप है कि राज्य में 164 स्वयं सहायता समूह हैं और हर स्वयं सहायता समूह में 10 महिलाएं काम करती हैं. इस योजना के तहत प्रदेश भर में तकरीबन एक लाख से ज्यादा लोग रोजगार पाते हैं, लेकिन सरकार एक प्लानिंग के तहत यह पूरा काम एक निजी कंपनी को देना चाहती है, जिससे यह सारे काम करने वाले लोग बेरोजगार हो जाएंगे.


मंत्री रेखा आर्य ने क्या कहा
उधर महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि टीएचआर योजना पूरी तरह से केंद्र सरकार के निर्देशों से संचालित की जाती है. राज्य सरकार को कई बार केंद्र सरकार द्वारा रिमाइंडर आ चुका है कि टेक होम योजना को केंद्र सरकार के नियमों के आधार पर ही संचालित किया जाए. उनका कहना है कि सरकार की इस योजना को बंद करने की कोई प्लानिंग नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार जो भी निर्देश देगी उसी के आधार पर योजना संचालित की जाएगी.


एक तरफ उत्तराखंड में राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़े कदम उठा रही है, महिला आरक्षण को कानून का रूप दे दिया है, महिला नीति बनाने की बात की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ टीएचआर योजना के तहत काम कर रहीं हजारों महिलाएंओं को बेरोजगार करने की प्लानिंग है. इन महिला स्वयं सहायता समूह का आरोप है कि इस योजना को सरकार बंद करना चाहती है जिससे उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा.


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