Rudraprayag News: सावन के चौथे सोमवार पर केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. बाबा केदार के दर्शनों के लिये भक्त लंबी कतार में खड़े दिखाई दिए. इन दिनों मौसम खराब होने के कारण केदारनाथ धाम के लिए हवाई सेवाएं उड़ाने नहीं भर रही हैं. ऐसे में भक्त पैदल ही 18 किमी की पैदल चढ़ाई पार कर बाबा केदार के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं. यहां पर अब तक 9 लाख 75 हजार से अधिक भक्त बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं. 


बाबा के दर्शनों के लिए उमड़ी भीड़


सावन महीने के चौथे सोमवार पर बाबा केदारनाथ के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. भक्त बाबा केदार के दर्शनों के लिये लंबी कतार में खड़े हुए दिखाई दिए. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शनों के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा था. दिलचस्प बात ये है कि भक्त इतनी बड़ी संख्या में केदारनाथ तब पहुंचे हैं जब खराब मौसम की वजह से हेली सेवाएं नहीं चल रही हैं और भक्त पैदल ही बाबा केदार के दर्शनों के लिये पहुंच रहे हैं. केदारनाथ धाम के लिए एक हेली सेवा यहां मौजूद तो है, लेकिन मौसम के साथ न देने की वजह से कभी-कभी ही ये चल पाती है. 


अब तक 9.25 लाख श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन


कोरोना के दो साल बाद इस बार बाबा केदारनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. अभी तक यहां 9 लाख 75 हजार से अधिक भक्त बाबा के दर्शन कर चुके हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. जबकि अभी ढाई महीने से अधिक समय की यात्रा शेष बची है. ऐसे में यात्रियों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है. अब मानसून भी कुछ ही दिनों का मेहमान है. ऐसे में केदारनाथ आने वाले यात्रियों की संख्या में फिर से वृद्धि होगी. पहली बार ऐसा हुआ है कि मानसून सीजन में एक लाख से अधिक यात्री केदारनाथ पहुंचे. 


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सावन के चौथे सोमवार को कोटेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ी भीड़
केदारनाथ के वेदपाठी आचार्य हर्ष जमलोकी ने बताया कि सावन मास में भगवान शंकर को जल चढ़ाने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. उन्होंने केदारनाथ और सावन सोमवार की महिमा का बखान किया. वहीं दूसरी तरफ सावन के चौथे सोमवार को जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से चार किमी की दूरी पर स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा. भक्त सुबह से ही भगवान शंकर को जल चढ़ाने के लिए पहुंचे. यहां स्थित गुफा में छोटे-छोटे शिव लिंग स्थापित हैं, जिन पर भक्त जल चढ़ाकर मनोतियां मांगते हैं. 


मान्यता है कि जब गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति को लेकर पांडव भगवान शंकर की आराधना कर रहे थे तो भगवान शंकर उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे और इसी गुफा में छिपे थे. कोटेश्वर स्थित गुफा से ही पांडवों ने स्वर्ग की ओर प्रस्थान किया था. 


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