UP News: रायबरेली (Raebareli0 के परिषदीय विद्यालयों में वार्षिक परीक्षा के पहले दिन अव्यवस्थाओं का जमकर बोलबाला रहा. बच्चे तो तैयारी करके परीक्षा देने विद्यालय पहुंच गए लेकिन विद्यालयों में प्रश्न पत्र उपलब्ध न होने के कारण उन्हें परीक्षा देने से वंचित होना पड़ा. सबसे ज्यादा समस्या शिवगढ़ ब्लॉक (Shivgarh Block) के विद्यालयों में देखने को मिली. जहां अध्यापक और बच्चे तो तैनात मिले लेकिन प्रधानाचार्य और प्रश्न पत्र दोनों नदारद थे. शिवगढ़ ब्लॉक के खरहरा प्राथमिक विद्यालय का हाल तो सबसे खराब है. वहां के इंचार्ज प्रधानाध्यापक को बच्चे भी ठीक से नहीं पहचानते.

क्या है मामलाबुधवार से प्राथमिक विद्यालयों में वार्षिक परीक्षा शुरू होनी थी. जिले के लगभग विकास खंडों के विद्यालयों में परीक्षाएं शुरू भी हो गई लेकिन शिवगढ़ ब्लॉक के अधिकतम विद्यालयों में परीक्षाएं समय से नहीं शुरू हो सकी. इतना ही नहीं खरहरा, राजापुर, सीवान सहित कई विद्यालयों में तो दोपहर तक प्रश्न पत्र ही नहीं पहुंचे. जबकि परीक्षा का समय सुबह 9:30 से 11:30 का था. समय बीत जाने के बाद भी प्रश्न पत्र नहीं पहुंचा जिसके कारण बच्चों को परीक्षा देने से वंचित होना पड़ा. ज्यादातर विद्यालयों में प्रधानाचार्य भी मौके पर नहीं मिले. उपस्थित पंजिका में भी पिछले कई दिनों से उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं थी. वहां के सहायक अध्यापक व शिक्षामित्र ने बताया कि प्रश्न पत्र आने की सूचना है. लेकिन ना तो प्रश्न पत्र पहुंचा और ना ही वह के इंचार्ज प्रधानाध्यापक नरेंद्र कुमार.

पहले से चल रही है जांचइस तरह शिवगढ़ ब्लॉक के लगभग स्कूलों में पहले दिन ही अव्यवस्थाओं का बोलबाला था. खंड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही व गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण विद्यालयों में प्रश्नपत्र नहीं पहुंच पाए. लिहाजा बच्चों को मानसिक यातना भी झेलनी पड़ी. खंड शिक्षा अधिकारी शिवगढ़ पहले भी विवादों के घेरे में रहे हैं और उन पर उच्च अधिकारियों की जांच भी चल रही है. इसके बावजूद भी अपने रवैये में कुछ सुधार करने को तैयार नहीं हैं. स्थानीय सूत्रों की मानें तो उनके सह पर ही विद्यालयों के अधिकतर प्रधानाचार्य व अध्यापक गायब रहते हैं और उनमें कुछ बीआरसी की परिक्रमा करते दिखते हैं.

क्या बोले बच्चेइंचार्ज प्रधानाध्यापक नारेंद्र कुमार की कार्यशैली पूरे क्षेत्र में सुर्खियां बटोर रही हैं. कहा जाता है कि नारेंद्र कुमार खंड शिक्षा अधिकारी के इर्द-गिर्द ही अपना डेरा जमाए रहते हैं. कभी ट्रेंनिंग देने के नाम पर तो कभी लेने के. बच्चों से भी जब पूछा गया तो बच्चों ने भी स्वीकार किया कि 3 ही अध्यापक उन्हें पढ़ाते हैं. नारेंद्र कुमार कभी कभार बच्चों को कृतार्थ करने विद्यालय पहुंच जाते हैं. उपस्थित पंजिका में भी कई दिनों से ना तो अनुपस्थित ही लिखा था और ना ही उस पर उपस्थित का मार्क ही लगा था. यह तो नारेंद्र कुमार का हाल है. शिवगढ़ ब्लॉक में इस तरह न जाने कितने नारेंद्र कुमार अपने आका की छत्रछाया में पल रहे हैं और नौनिहालों का भविष्य अंधकार में कर रहे हैं. अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की नजरें इस तरफ इनायत होती हैं या फिर जैसे चल रहा था वैसे चलने के लिए छोड़ दिया जाता है.

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