Prayagraj Mining Mafia: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में खनन माफियाओं (Mining Mafia) का सनसनीखेज कारनामा सामने आया है. यहां माफियाओं ने काली कमाई के फेर में जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी कही जाने वाली राष्ट्रीय नदी गंगा की धारा को रोककर उसे ना सिर्फ कैद कर दिया है, बल्कि लाखों रूपये खर्च कर उस पर सड़क (Road) भी बना दी है. धारा के बीचो-बीच सड़क बनाए जाने से गंगा नदी (Ganga River) संगम के नजदीक कई जगहों पर ठहर गई है और आगे नहीं बढ़ पा रही है. माफिया रात के अंधेरे में गंगा की गोद से रेत और मिट्टी का अवैध खनन कर उसे ट्रकों और ट्रैक्टरों के जरिए इसी सड़क से बाहर लाकर मुंहमांगी कीमतों पर बेचते हैं.  


गंगा की धारा को किया कैद 
यहां माफिया इस कदर बेखौफ हैं कि उन्होंने गंगा की धारा को कैदकर बनाई गई सड़कों पर निगरानी के लिए कई जगहों पर मचाननुमा वाच टावर भी बना रखे हैं. सफेद रेत का काला कारोबार चोरी छिपे नहीं बल्कि खुलेआम होता है. पुलिस और प्रशासन से लेकर खनन विभाग को भी इसकी जानकारी है, लेकिन हर कोई ना सिर्फ आंख मूंदे रहता है, बल्कि पाप की कमाई में अपना हिस्सा बढ़ाने की जुगत में भी रहता है. यहां माफियाओं ने अवैध खनन करने के लिए गंगा की धारा को कैद कर गुनाहों की अलग दुनिया ही बसा रखी है. 




चोरी छिपे होता है खनन
प्रयागराज शहर से तकरीबन 20 किलोमीटर झूंसी इलाके का छिवैया गांव गंगा के ठीक किनारे बसा हुआ है. ये इलाका दुनिया भर में मशहूर संगम से महज कुछ दूरी पर ही है. गांव के बाहरी हिस्से में गंगा नदी का सुमेरपुर घाट है. छिवैया गांव के आसपास गंगा की रेत और मिट्टी का चोरी छिपे खनन पिछले कई दशकों से होता आ रहा है. हालांकि, खनन का काम ज्यादातर रात के अंधेरे में ही होता है. प्रयागराज में हर साल गर्मी के सीजन में गंगा की धारा ना सिर्फ सिमट जाती है, बल्कि कई टुकड़ों में भी हो जाती है. 




गर्मियों में सिमट जाती है गंगा 
यहां संगम के नजदीक गंगा नदी का पाट तकरीबन ढाई किलोमीटर चौड़ा है, लेकिन गर्मी में ये सिमटकर कुछ सौ मीटर तक ही रह जाता है. इस बार भी शहर की तरफ एक मुख्य धारा बह रही है, जबकि छोटी-छोटी कई धाराएं झूंसी इलाके के छिवैया गांव के सुमेरपुर घाट की तरफ बहते हुए मिर्ज़ापुर के रास्ते बनारस की तरफ बढ़ रही थी. छोटी धाराएं अमूमन हमेशा ही इस गांव के नजदीक से बहती हैं, इसलिए यहां के लोग इन धाराओं को छोटी गंगा का नाम देते हैं. यहीं डुबकी लगाते हैं और पूजा-पाठ भी करते हैं. इस बार गंगा की 2 धारा एकदम किनारे बहने की वजह से अवैध खनन थम सा गया, क्योंकि बीचों- बीच तक जेसीबी मशीनों और ट्रक और ट्रैक्टर के जाने का रास्ता ही नहीं बचा. 




नदी के बीचो बीच सड़क बना दी
बारिश से पहले धारा बदलने की उम्मीद धूमिल होने पर यहां रेत और मिट्टी का खनन करने वाले माफियाओं ने नई जुगत भिड़ा दी. उन्होंने गंगा की धारा को 2 जगहों पर कैद कर नदी के बीचो बीच सड़क बना दी. इसके लिए सैकड़ों ट्रक मिट्टी और रेत का इस्तेमाल किया गया. गंगा की धारा के बीच 2 जगहों पर तकरीबन दो-दो सौ मीटर सड़क बनने में हफ्तों का वक्त लगा. लाखों रुपये खर्च किए गए. जाहिर है कि लाखों रुपये खर्च कर सड़क बनाने वालों ने रास्ते का निर्माण पुण्य नहीं, बल्कि करोड़ों कमाने के लिए किया गया है. 




लोगों ने बताई चौंकाने वाली बात 
नदी की छोटी धाराओं पर बनाए गए अस्थाई रास्ते पर रात के अंधेरे में ट्रक, ट्रैक्टर, बुलडोज़र व दूसरे बड़े वाहन तेजी से फर्राटा भरते हैं. यहां वाहनों के चलने के निशान साफ नजर आए, साथ ही दर्जनों जगहों पर बालू और मिट्टी डंप करके भी रखी गई थी. गंगा के तट पर बालू और मिट्टी के बड़े-बड़े टीले कैसे बन गए, ये यहां गंगा की धारा को कैदकर बनाई सड़कों को देखने के बाद खुद ही साफ हो जाता है. इस रास्ते पर दिन के वक्त भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ था. रास्ते के आसपास कई स्थानीय लोग जरूर मिले, उन्होंने इसे नेताजी नाम के किसी माफिया की करतूत बताई तो साथ ही ये भी कहा कि अगर वो ज़्यादा बोलेंगे तो उनकी जिंदगी को खतरा हो सकता है. तमाम लोगों ने यहां रात के अंधेरे में अवैध खनन होने के गंभीर व सनसनीखेज आरोप लगाए. आरोप ये भी है कि गंगा की कैद की हुई धारा को ओवरफ्लो से बचाने के लिए रात के वक्त जनरेटर के जरिये पम्प का इस्तेमाल कर गंगा का पानी एक से दूसरी तरफ कर दिया जाता है.   




अंजान बने रहना चाहते हैं अफसर
बहरहाल, माफियाओं के इस दुस्साहस के बारे में सरकारी अफसरान सबकुछ जानते हुए भी अंजान बने रहना चाहते हैं. तमाम अधिकारीयों ने इस बारे में सवाल पूछने पर कोई जानकारी नहीं होने का झूठ बोलकर, अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया. डीएम संजय कुमार खत्री ने जरूर इस मामले की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का दावा किया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसी भी दोषी को कतई बख्शा नहीं जाएगा. हालांकि, माफियाओं के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी और जो नौकरशाह इस मामले में आंख मूंदकर लापरवाह बने हुए हैं, उनके खिलाफ क्या एक्शन होगा, इसका अंदाजा लगा पाना कतई मुश्किल नहीं है. कैद की गई गंगा को योगी राज में आजादी मिल पाएगी या फिर मोक्षदायिनी को बारिश और बाढ़ का इंतजार करना होगा.


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