UP News: नए शैक्षिक सत्र का छठा महीना शुरू हो गया है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का किताबों को लेकर इन्तेजार खत्म नहीं हो रहा. सरकारी इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में पुरानी हिंदी मीडियम की किताबों से पढ़ाई हो रही है. प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में एक करोड़ 92 लाख से अधिक छात्र छात्राएं पढ़ते हैं. स्कूलों में ये हाल तब है जबकि सरकार पाठ्य पुस्तकों के लिए 350 करोड़ से अधिक बजट देती है. विभाग सीधे तौर पर इन मासूमों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है. इनकी नींव को खोखला कर रहा है. वैसे 12 जुलाई को जब एबीपी गंगा ने इस मुद्दे को उठाया था तो बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा था कि 2-3 हफ्ते में बच्चों तक किताबों को पहुंचा दिया जायेगा. लेकिन मंत्री का वादा कहें या दावा अधूरा ही रह गया.


6 सितंबर तक बच्चों को नहीं मिल पाएगी किताब
प्रदेश में नया शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है. बेसिक शिक्षा परिषद् के स्कूलों में एक करोड़ 92 लाख से अधिक छात्र छात्राएं पढ़ते हैं. इनको 11 करोड़ 50 लाख के करीब किताबें बांटी जानी है, लेकिन शिक्षा विभाग के आंकड़ों को ही मान ले तो 31 अगस्त तक महज 6 करोड़ 75 लाख के करीब किताबों की ही जिलों में सप्लाई हुई है. बात अगर बच्चों के हाथ में किताब पहुंचने की करें तो संख्या 5 करोड़ 50 लाख से भी कम होगी. यानी बच्चों को जितनी किताबें मिलनी हैं उसकी आधी भी बच्चों के हाथ में नहीं पहुंची. विभाग ने किताबों की सप्लाई के लिए पब्लिशर्स को 90 दिन का वक्त दिया था जो 6 सितम्बर को पूरा हो जायेगा. यानी डेडलाइन में अब सिर्फ 5 दिन बाकी हैं. 85 दिन में महज 59 फीसदी किताबों की सप्लाई हुई है. ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि 6 सितम्बर तक बच्चों तक किताबें पहुंचना तो दूर सप्लाई भी पूरी नहीं हो सकती.


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पुरानी किताबों से बच्चे कर रहे है पढ़ाई
एबीपी गंगा की टीम स्कूलों में हकीकत का जायजा लेने नगर क्षेत्र के नरही प्राइमरी स्कूल पहुंची तो अलग ही हालात दिखे. स्कूल में क्लास 5 के बच्चों ने बताया की उनको अब तक मैथ्स और ईवीएस की किताब नहीं मिली. ऐसे में कुछ बच्चों पास किताब थी ही नहीं. वहीं कुछ के पास पुरानी किताबें थीं वो भी हिंदी मीडियम की. जबकि ये स्कूल इंग्लिश मीडियम का है. बच्चों ने बताया की यहां एडमिशन इसलिए लिया था कि वो भी कान्वेंट स्कूल के बच्चों की तरह इंग्लिश मीडियम से पढ़ेंगे. साफ जाहिर है कि इन बच्चों के साथ भी धोका किया जा रहा है. ये स्कूल शहर का दिल कहे जाने वाले हज़रतगंज इलाके में आता है. वैसे ये भी बता दें कि विभाग ने तय किया था की सितम्बर में बच्चों की तिमाही परीक्षा करायी जायेगी, लेकिन अब इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही. क्योंकि अधिकारी भी अपनी कारस्तानी जानते हैं की जब किताब ही नहीं दी तो परीक्षा क्या कराएंगे.


  11 लाख पुस्तकें बांटी गईं  


राजधानी से सटे सीतापुर जनपद में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा सत्र 2022-23 के छठे माह की शुरुआत हो चुकी है लेकिन अभी तक छात्र-छात्राओं को मिलने वाली निःशुल्क पुस्तके नहीं मिल सकी है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि 38 लाख पुस्तके सीतापुर के 3531 परिषदीय विद्यालयों को चाहिए. 11 लाख पुस्तके मिली थी जो बांटी जा चुकी है.पब्लिशर्स को 90 दिन में पुस्तकों को छापना था. 84 दिन बीत गए 6 सितम्बर तक पुस्तके कैसे मिलेंगी यह बड़ा सवाल बना हुआ है. परिषदीय विद्यालयों में पुस्तक अभी तक पहुंची है या नहीं इसकी हकीकत को जानने के लिए एबीपी गंगा की टीम जिला मुख्यालय से सटे रस्योरा विद्यालय पहुंची तो वहां पर पाया कि एक भी पुस्तक बच्चो को नहीं दी गई, जबकि परीक्षा का समय आ गया है. पुरानी पुस्तकों के सहारे जैसे-तैसे बच्चे पढाई कर रहे है। विद्यालय की अध्यापको ने बताया कि अभी तक उनके वहा सरकारी पुस्तक नहीं पहुंची है.


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