UP Assembly Election 2022: यूपी की सियासत में पिछले तीन दशक में शायद ही कभी ऐसा हुआ हो,जब यहां चुनावों में भगवान राम के नाम पर वोट न मांगे गए हों लेकिन, यह पहली बार हो रहा है, जब भगवान राम के साथ ही उनके प्रिय सखा यानी करीबी दोस्त निषादराज का नाम भी सियासी गलियारों में से गूंज रहा है. निषादराज के नाम का इस्तेमाल न सिर्फ सियासी पार्टियों के मंचों से हो रहा है, बल्कि उनके नाम के सहारे यूपी के तकरीबन 12 फीसदी निषाद वोटरों को भी साधने की कोशिश की जा रही है. निषादों को अपने पाले में लाकर उनके सहारे अपनी चुनावी नैया पार कराने की जुगत में वैसे तो सभी पार्टियां जोर -शोर से जुटी हुई हैं, लेकिन बीजेपी इनमें सबसे आगे नर आ रही है.


श्रृंगवेरपुर धाम पर फोकस कर रही बीजेपी
बीजेपी को उम्मीद है कि त्रेता युग में जिस तरह केवट ने भगवान राम की नैया पार लगाई थी, उसी तरह निषादराज के वंशज विधानसभा चुनाव में उसे सियासी भंवर से बाहर निकालकर सत्ता की मंजिल तक पहुंचा सकते हैं. यही वजह है कि बीजेपी और उसकी सरकारें संगम नगरी प्रयागराज के उस श्रृंगवेरपुर धाम को बार -बार फोकस कर रही हैं, जो त्रेता युग में निषादराज की राजधानी हुआ करती थी. जहां भगवान राम और निषादराज की दोस्ती हुई थी. 


बीजेपी के एजेंडे में निषादराज के वंशज भी
जहां भगवान राम ने निषादराज को गले लगाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया था. जहां आज भी निषादों के मुखिया चुनावों के वक्त इकट्ठे होकर सियासी पार्टियों का भविष्य तय करते हैं. भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या से उनके वनवास स्थल तक बनने वाले राम वन गमन पथ का शिलान्यास तीन दिन पहले श्रृंगवेरपुर से ही करके बीजेपी की सरकारों ने यह सा कर दिया है कि इस बार उसके एजेंडे अकेले राम ही नहीं बल्कि उनके प्रिय सखा निषादराज के वंशज भी है.


श्रृंगवेरपुर धाम का काया कल्प किया बीजेपी ने
बीजेपी की केंद्र और यूपी की सरकारों ने श्रृंगवेरपुर धाम का काया कल्प कर दिया है. श्रृंगवेरपुर में जिले का नया ब्लाक बना दिया है. यहां निषादराज के नाम पर पार्क बनाया जा रहा है. इसके साथ ही श्रृंगवेरपुर कस्बे के एंट्री प्वाइंट पर भगवान राम की निषादों के आराध्य निषादराज को गले लगाते हुए तकरीबन सौ फिट ऊंची विशाल प्रतिमा भी लगाई जानी है. निषाद पार्क और प्रतिमा का काम अंतिम दौर में है.


निषाद पार्टी को सहयोगी दल बनाकर उससे गठबंधन करने के बावजूद इस कार्यक्रम में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यहां के मंच से यह दावा किया था कि सूबे के निषाद पूरी तरह बीजेपी के ही साथ हैं. केशव मौर्य ने कहा कि भगवान राम और निषादराज अगर त्रेता युग में साथ थे तो उनके भक्त आज अलग कैसे रह सकते हैं. उनके मुताबिक़ भगवान राम और निषादराज को आपस में गले मिलते हुए दिखाकर अकेले श्रृंगवेरपुर ही नहीं बल्कि पूरे देश को सामाजिक समरसता का संदेश देना है.  


सभी की नजह निषाद वोट पर
गौरतलब है कि यूपी में निषादों की आबादी तकरीबन बारह फीसदी है. निषाद समुदाय चार सौ से अधिक उपजातियों में बंटा हुआ है. यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले तकरीबन सभी पार्टियां निषादों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी हुई हैं. निषादों के नेता डाक्टर संजय निषाद अलग पार्टी बनाकर उनके वोटों पर अपना ह जता रहे हैं तो समाजवादी पार्टी पूर्व सांसद फूलन देवी के नाम के सहारे इस वर्ग के वोटरों को साधने की फिराक में है. प्रयागराज में पिछले साल निषादों पर हुए अत्याचार के खिलाफ प्रियंका गांधी वाड्रा ने मैदान में उतरकर इस समाज को कांग्रेस पार्टी से जोड़ने की कोशिश की तो बिहार के मंत्री मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी इन बारह फीसदी वोटरों पर अपना ह जता रही है. इन सबके बीच बीजेपी ने भगवान राम के नाम के साथ निषादों के आराध्य निषादराज को जोड़कर इस तबके को भावनात्मक तौर पर अपने साथ लाने का मास्टर स्ट्रोक खेला है.


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