Varanasi News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार सुबह अपने दो दिवसीय काशी दौरे के दौरान वाराणसी के होटल ताज पहुंचकर 24 जून को प्रस्तावित मध्य क्षेत्रीय परिषद (Central Zonal Council) की बैठक की तैयारियों का निरीक्षण किया. इस अहम बैठक में देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री शामिल होंगे. मुख्यमंत्री योगी इस बैठक की मेजबानी करेंगे.

मुख्यमंत्री ने होटल ताज में अधिकारियों के साथ बैठक स्थल की व्यवस्थाओं का गहन निरीक्षण किया और जरूरी निर्देश दिए. उन्होंने आयोजन से जुड़ी व्यवस्थाओं में कोई कमी न रहने देने की हिदायत दी. मंडलायुक्त एस. राजलिंगम ने मुख्यमंत्री को अब तक की तैयारियों की जानकारी दी. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के साथ जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, श्रम मंत्री अनिल राजभर, राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल, दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, और जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार समेत कई जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे. इस बैठक की अध्यक्षता कौन करता हैभारत सरकार द्वारा राज्यों के बीच समन्वय, सहयोग और विकास से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए पांच क्षेत्रीय परिषदें बनाई गई हैं. मध्य क्षेत्रीय परिषद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को शामिल करती है. यह परिषद राज्यों के बीच जल बंटवारे, सड़क, बिजली, कानून-व्यवस्था, उद्योग और अन्य विकास परियोजनाओं को लेकर सुझाव और योजनाएं बनाती है. इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं और बैठक में संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री व अन्य वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेते हैं.

वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और योगी सरकार ने इसे पूर्वांचल के विकास का केंद्रबिंदु बनाया है. बीते वर्षों में यहां कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं. अब मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक जैसे बड़े आयोजन से काशी की पहचान एक प्रभावशाली नीति निर्माण केंद्र के रूप में और मजबूत होगी.मुख्यमंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि वाराणसी की गरिमा और सांस्कृतिक पहचान इस आयोजन में झलके. बैठक में सुरक्षा, आवागमन, मेहमानों के स्वागत, मीडिया सेंटर और स्थानीय सुविधाओं पर भी अधिकारियों को खास ध्यान देने को कहा गया है.ऐसे आयोजनों से यह साफ होता है कि काशी अब केवल धार्मिक और पर्यटन नगरी नहीं, बल्कि नीति और प्रशासनिक विमर्श का भी केंद्र बनती जा रही है.