UP Assembly Election 2022: आजमगढ़ कि मुबारकपुर विधानसभा सीट वैसे तो बसपा के लिए मजबूत सीट कही जाती है. इस सीट पर 1996 से लगातार बसपा चुनाव जीती रही है. 1996 में यशवंत सिंह बसपा के टिकट पर मुबारकपुर से विधायक चुने गए. 2002 में बसपा ने चंद्रदेव यादव करेली को अपना प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीते. 2007 में बसपा ने चंद्रदेव राम यादव करेली को ही प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीते, मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. अब वह समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं और मुबारकपुर से टिकट चाह रहे हैं. 


मायावती से शाह आलम की अनबन
2012 में बसपा ने रियल एस्टेट कारोबारी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को प्रत्याशी बनाया. उन्होंने समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव को हराकर चुनाव जीता. 2017 के चुनाव में बसपा ने फिर शाह आलम पर दांव लगाया. शाह आलम फिर समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव को शिकस्त देकर विधानसभा का चुनाव जीत गए. लेकिन इस बार जीत का फैसला तीन अंकों में सिमट कर रह गया. वैसे तो शाह आलम मायावती के काफी करीबी माने जाते थे और मायावती ने उन्हें बसपा का नेता विधानमंडल दल भी बना दिया. इसी बीच 21 नवंबर को मायावती के साथ हुई मुलाकात में शाह आलम और मायावती के बीच कुछ ऐसी बात हुई जिसे शाह आलम सहन नहीं कर सके. 25 नवंबर को उन्होंने एक चिट्ठी लिखकर नेता विधानमंडल दल व विधानसभा से इस्तीफे की घोषणा कर दी .


बसपा ने घोषित किया प्रत्याशी
विधानसभा चुनाव के पहले शाह आलम का यह निर्णय बसपा के लिए एक बड़ा झटका था. मायावती ने डैमेज कंट्रोल करते हुए दूसरे दिन प्रेस कांन्फ्रेंस कर शाह आलम पर कई गंभीर आरोप लगा दिए. 1996 से 2017 तक मुबारकपुर विधानसभा सीट बसपा के पास रही और यह आजमगढ़ में बसपा की सबसे मजबूत सीट के तौर पर देखी जा रही है. शाह आलम के इस्तीफे के बाद शाह आलम की करीबी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ देखी जाने लगी. अटकलें लगने लगी कि शाह आलम समाजवादी पार्टी के टिकट पर मुबारकपुर से चुनाव लड़ सकते हैं. अभी समाजवादी पार्टी कुछ निर्णय ले पाती, इसी बीच बसपा ने मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय निवासी अब्दुस सलाम को बसपा का प्रत्याशी घोषित कर दिया. अब्बू सलाम 1991 से 1993 तक मुबारकपुर विधानसभा का बतौर विधायक प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 


बसपा के कैडर वोट की उम्मीद
प्रत्याशी घोषित होने के साथ ही अब्दुस सलाम ने जनसंपर्क भी शुरू कर दिया. अब्दुल सलाम 1993 से लगातार 2012 तक किसी ना किसी दल से विधानसभा का चुनाव मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र से लड़ते रहे. इसकी वजह से वह मतदाताओं के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं. इस बार बसपा का टिकट मिलने से वह काफी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि क्षेत्र में मैं अपने व्यक्तिगत और बसपा का कैडर वोटों के बदौलत बड़ी जीत के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में मुबारकपुर के प्रतिनिधि के रूप में चुना जाऊंगा. मुबारकपुर की मूलभूत सुविधाओं बुनकरों के लिए बिजली, अस्पताल स्कूल की अच्छी से अच्छी व्यवस्था के लिए प्रयास करूंगा. वैसे तो मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र बुनकर बाहुल्य इलाका है. यहां रेशमी साड़ी का निर्माण किया जाता है. जिसे देश विदेश में पहचान मिली हुई है लेकिन यहां के बुनकरों को बिजली, विपणन, यातायात और नई पीढ़ी के लिए शिक्षा की समस्या बहुत बड़ी है. वहीं सपा और बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. 


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