UP News: अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से तल्खियों के बाद से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में हाशिए पर रह रहे शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) के हाथ से सहकरिता की आखिरी ताकत भी खोने जा रही है. दरअसल, शिवपाल सिंह यादव को सहकारिता का दिग्गज माना जाता है और लंबे समय से उनका बेटा आदित्य यादव (Aditya Yadav) प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन का सभापति है. 


इस बार बीजेपी (BJP) ने सहकारिता के क्षेत्र में उनके रुतबा छीनने की पूरी तैयारी कर ली है. सभापति का चयन करने वाले फेडरेशन की 14 सदस्य कमेटी में से बीजेपी के 11 सदस्य निर्विरोध चुन लिए गए हैं. बाकी बची 3 सीटें महिला कोटे की हैं, जिन्हें सरकार मनोनीत करती है. 


शिवपाल परिवार का रहा दबदबा
शिवपाल सिंह यादव की बीजेपी से नजदीकियों को देखते हुए ये माना जा रहा है कि वो अपने परिवार की किसी महिला सदस्य को फेडरेशन में बतौर सदस्य शामिल करा कर सभापति बनवा सकते हैं. विधानसभा से लेकर विधान परिषद और पंचायत समेत सभी तरह के चुनाव में दबदबा कायम करने वाली भारतीय जनता पार्टी की नजरें अब प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) के चुनाव पर हैं. पीसीएफ में लंबे समय से शिवपाल सिंह यादव का प्रभाव रहा है. 


खत्म होगा वर्चस्व
फेडरेशन के सभापति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है और उनके बेटे आदित्य यादव 14 जून को अपना दूसरा कार्यकाल खत्म कर रहे हैं. सभापति बनने के लिए फेडरेशन के 14 सदस्यीय बोर्ड में शामिल होना जरूरी है. हालांकि, पीसीएफ से शिवपाल सिंह यादव का वर्चस्व खत्म करने में जुटी बीजेपी ने उनके बेटे आदित्य यादव को बोर्ड का सदस्य तक नहीं बनने दिया. इससे आदित्य के तीसरी बार सभापति बनने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं. इसी के साथ सहकारिता से शिवपाल सिंह यादव का वर्चस्व भी खत्म होना तय है. 


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अब ये है शिवपाल की कोशिश
हालांकि, शिवपाल सिंह यादव फेडरेशन में अपना हस्तक्षेप बनाए रखने के लिए कोशिश कर रहे हैं. फेडरेशन के सूत्रों का कहना है कि 11 सीटों पर बीजेपी के सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं लेकिन महिला कोटे की 3 सीटों पर संभावना अभी बाकी है. शिवपाल सिंह यादव अपने परिवार की किसी महिला सदस्य को इन 3 सीटों में जगह दिलाना चाहते हैं. महिला सदस्यों में उनकी पत्नी का नाम भी चर्चा में है. चूंकि इन 3 सीटों पर सदस्यों का मनोनयन सरकार करती है और पिछले कुछ समय से शिवपाल के बीजेपी से नजदीकी संबंध देखे जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इन्हीं नजदीकियों के चलते फेडरेशन में शिवपाल सिंह यादव की उम्मीदें अभी खत्म नहीं हुई हैं.


सदस्यों और सभापति का चुनाव
प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन के सदस्यों और सभापति के चुनाव के लिए लंबी प्रक्रिया है. प्रदेश के सभी जनपदों के जिला सहकारी बैंक और विभिन्न सहकारी संस्थाओं के नामित सदस्य पहले चुनाव के जरिए फेडरेशन की 14 सदस्य कमेटी के सदस्य चुनते हैं. इसके बाद 14 सदस्य कमेटी सभापति चुनौती है. सभापति का कार्यकाल 5 साल का होता है.


प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन में लंबे समय बाद भाजपा का दबदबा हुआ है. भाजपा ने 14 सदस्य कमेटी में से 11 सदस्य निर्विरोध निर्वाचित करा लिए हैं. निर्वाचित सदस्यों में भाजपा के सहकारिता प्रकोष्ठ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वैचारिक संगठन सहकार भारती से जुड़े लोग शामिल हैं.


11 सदस्य हुए निर्विरोध निर्वाचित
लखनऊ से विश्राम सिंह राठौर और राज बहादुर सिंह, कानपुर से आनंद किशोर द्विवेदी, प्रयागराज से अमरनाथ यादव, गोरखपुर से रमाशंकर जयसवाल, मेरठ से कुंवर पाल, बरेली से राकेश गुप्ता, बलिया से बाल्मीकि त्रिपाठी, अलीगढ़ से अनुराग पांडेय, झांसी से पुरुषोत्तम पांडेय और मुरादाबाद से रमेश को निर्विरोध चुना गया है.


प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन यानी पीसीएफ की स्थापना किसानों के हितों के लिए की गई थी. हालांकि, वर्तमान में पीसीएफ का काफी विस्तार हो चुका है. अब पीसीएफ किसानों के साथ आम जनता के लाभ के लिए भी तमाम क्षेत्रों में काम कर रही है. पीसीएफ किसानों की उपज की खरीद के साथ ही मार्केटिंग व अन्य सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करती है. पीसीएफ की स्थापना 11 जून 1943 को हुई थी.


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