यूपी के संभल जिले के मंडल गांव (तहसील संभल) में शनिवार (6 सिंतबर) को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया है. राजस्व विभाग की टीम के अनुसार, यह कब्जा लंबे समय से चला आ रहा था और जमीन को अवैध रूप से बाग में तब्दील कर दिया गया था. यह बाग सपा विधायक इकबाल महमूद का बताया जा रहा है.

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यह मामला मंडल गांव के गाटा संख्याओं से जुड़ा है. यहां के गाटा संख्या 222 और 198 दर्ज रूप से इकबाल महमूद मोहम्मद जैद, मोहम्मद जुनैद, फैज़ इकबाल, मोहम्मद असलम, सुहैल इकबाल और शान इकबाल के नाम पर है. 

विधायक ने अवैध कब्जा कर बना लिया था बाग

इसके साथ ही बगल में स्थित गाटा संख्या 221, जो कि राजस्व अभिलेखों में बंजर भूमि दर्ज है, उस पर भी कब्जा कर बाग बना लिया गया था. यह भूमि सरकारी खाते में दर्ज है, जिस पर पौधारोपण करके उसे निजी बाग में शामिल कर लिया गया था.

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निरीक्षण के दौरान टीम ने पाया कि सरकारी जमीन को चारदीवारी बनाकर कब्जे में लिया गया है. यही नहीं, अवैध रूप से कटे एक कटहल के पेड़ का मामला भी सामने आया. इस पर वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया और कहा कि जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा. 

क्षेत्रीय वन अधिकारी ने दी यह जानकारी

क्षेत्रीय वन अधिकारी मनोज कुमार ने स्पष्ट किया कि पेड़ काटने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. कार्रवाई के समय राजस्व, सिंचाई और वन विभाग की संयुक्त टीम मौके पर मौजूद रही. 

टीम ने कब्जा हटाने के साथ-साथ नापजोख कर सीमांकन भी किया. अधिकारियों ने बताया कि सरकारी जमीन को दोबारा राजस्व खाते में दर्ज किया जाएगा और भविष्य में इस पर किसी तरह का अतिक्रमण न हो, इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे.

स्थानीय लोगों ने क्या कहा?

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह कब्जा लंबे समय से था और कई बार इसकी शिकायतें की गई थीं. हालांकि, आज प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए जमीन को कब्जा मुक्त कराया है. इस कार्रवाई के बाद संभल जिले में हड़कंप मच गया है, क्योंकि अवैध कब्जा कथित तौर पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री इकबाल महमूद से जुड़ा बताया जा रहा है. 

अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि चाहे कोई भी व्यक्ति हो, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह कार्रवाई जिला प्रशासन की अवैध कब्जों के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत पहले भी कई स्थानों पर सरकारी जमीनें मुक्त कराई जा चुकी हैं.