रामपुर की जेल में सजा काट रहे पूर्व मंत्री और सपा नेता आजम खान पर दर्ज हुए मुकदमों के बारे में रिटायर्ड हो चुके रामपुर के तत्कालीन एडीएम सिटी जगदम्बा प्रसाद गुप्ता ने बताया, "आजम खान पर 2019 से पहले भी लगभग 44 मुकदमे दर्ज थे लेकिन जब 2019 में जौहर यूनिवर्सिटी की तरफ जाने वाले स्टेट हाइवे पर मानकों के विपरीत कम ऊंचाई में बने उर्दू गेट को प्रशासन ने तोड़ा तो आजम खान नाराज हो गये."
रिटायर्ड अधिकारी के मुताबिक, "इसके बाद आजम खान ने अधिकारियों पर जुबानी हमले शुरू कर दिए थे जिसके बाद प्रशासन के पास शिकायते आती रही और आजम खान और उनके परिवार पर मुकदमे दर्ज होते रहे." जे पी गुप्ता का कहना है कि आजम खान पर कार्रवाई शुरू होने पर उनकी और उनके घर परिवार की रेकी शुरू हो गयी थी, जिस वजह से उन्हें पुलिस की अतिरिक्त सुरक्षा मुहैय्या कराई गयी थी.
जे पी गुप्ता ने बताया कि उन्हें शासन से साफ निर्देश थे की जो भी शिकायतें जनसुनवाई में आयें उनका गुणवत्ता पूर्वक निस्तारण किया जाये. उन्होंने बताया कि आजम खान पर कार्रवाई करने को लेकर उन पर किसी तरह का कोई राजनीतिक या गैर राजनितिक दबाव नहीं था. उस समय खतरे को देखते हुए हमारी सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी.
'तथ्यों के आधार पर की गई कार्रवाई'
रिटायर्ड हो चुके जगदंबा प्रसाद गुप्ता ने बताया कि आजम खान पर कार्रवाई करने में उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन किया है चाहे शत्रु संपत्ति का मामला हो, या आलिया मदरसे की किताबो का मामला हो या फिर यतीम खाने और किसानो की जमीनों का मामला हो, सभी मामलो में जांच की गई और तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की गई है.
'सिर्फ आजम खान पर नहीं, गलत काम करने वालों पर हुई कार्रवाई'
उन्होंने बताया कि सपा सरकार में जिन अधिकारियों ने कानून की अनदेखी की थी और गलत कार्य किए थे, उन पर भी कार्रवाई हुई है, ऐसा नहीं है की सिर्फ कार्रवाई आजम खान पर हुई है. जौहर यूनिवर्सिटी में भूमि के कुछ मामले मेरे न्यायालय में भी चले और हमने सरकारी भूमि को सरकार के कब्जे में लेने के आदेश दिए लेकिन बाद में आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल गया जिस वजह से वह भूमि आज भी आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी के कब्जे में चल रही है.
सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा, "सरकार या शासन की मंशा आजम खान की यूनिवर्सिटी को बंद कराना नहीं था. इसलिए आज भी आजम खान की यूनिवर्सिटी संचालित है."आजम खान के रामपुर पब्लिक स्कूल के बंद होने पर उन्होंने कहा कि रामपुर में पहले भी कई स्कूल बंद हुए थे तो क्या माना जाये उन्हें खुलवाने की कोशिश क्यूं नहीं की गई. जब शिकायत मिली तो हमने कब्जे को मुक्त कराया.
उन्होंने कहा कि आजम खान पर कार्रवाई के पीछे शिक्षा को लेकर कोई बात नहीं थी चाहे जौहर यूनिवर्सिटी की बात हो या फिर रामपुर पब्लिक स्कूल की बात हो, जौहर यूनिवर्सिटी में 8 हजार 800 लाख रुपये शासकीय धन लगा हुआ है. कहा जाता है कि यूनिवर्सिटी में रिक्शा वालों ने चंदा दिया है तो आज तक उसका हिसाब क्यों नहीं दिया गया की किस रिक्शे वाले ने कितना चंदा दिया है.
रिटायर्ड अधिकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी में 13 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति है, 05 हेक्टेयर नदी की भूमि है, इसके अलावा अनुसुचित जाति के लोगो से खरीदी हुई जमीन है, जबकि 157 की परमिशन होनी चाहिए थी, 5 से 7 एकड़ रेत की जमीन है जिस पर लगभग 2200 खैर के पेड़ जिन्हें न काटे जाने की शर्त थी लेकिन इन्होने उन्हें नीलाम कर काट दिया और पर्यावरण को छति पहुंचाई.
'सबूतों के आधार पर की थी कार्रवाई'
उन्होंने आगे कहा कि हम लोगों ने साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की थी. उस समय जो जो अधिकारी तैनात थे और उनकी जो जिम्मेदारी थी उस पर भी हमने अपनी रिपोर्ट दी और नगर पालिका के अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई और उस समय के एक एसडीएम थे वह भी निलंबित हुए थे. तो कार्रवाई न सिर्फ आजम खान बल्कि अधिकारियो पर भी हुई है.
रिटायर्ड अधिकारी के मुताबिक, हमने कोई गलत कार्य नहीं किया इसलिए कभी कोई तनाव नहीं हुआ. जब एक बार हमें सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस हुआ तो हमने जिला अधिकारी को पत्र लिखा था और हमारी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. हम ने शिकायतों के आधार पर जांच की और रिपोर्ट जिला अधिकारी के माध्यम से शासन को भेजी जिसके बाद शासन स्तर से निर्णय लिए जाते थे और कार्रवाई होती थी.
'हम पर नहीं था किसी का दबाव'
उन्होंने यह भी कहा कि कई मामलो में आजम खान को सजा हो चुकी है और कई मामलो में वह बरी भी हुए हैं लेकिन यह सब न्यायलय का अपना फैसला है, इसलिए हमारे संतुष्ट या अन्संतुष्ट होने की कोई बात नहीं है, दोनों पक्ष अपना अपना पक्ष न्यायलय में रख भी रहे हैं. हमने अपनी ड्यूटी की और कर्तव्य निभाया है. हमारा उद्देश्य किसी के विरुद्ध जबरदस्ती कार्रवाई करने का नहीं था, न हम पर कहीं से कोई दबाव था.