उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज जिले की बारा तहसील के शंकरगढ़ में राम जानकी मंदिर परिसर में कथित अवैध निर्माण रोकने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. अदालत ने इस जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि अदालत निजी और गैर सरकारी संपत्ति के मामले में दखल नहीं दे सकती.

Continues below advertisement

इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी अनुरोध किया था. दरअसल, शंकरगढ़ के सदर बाजार में स्थित राम जानकी मंदिर करीब 200 साल पुराना है और नगर पंचायत के राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक, यह मंदिर राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की निजी संपत्ति पर स्थित है.

हाईकोर्ट के चीफ जस्जिस ने खारिज की याचिका

घनश्याम प्रसाद केसरवानी नाम के व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने कहा, “एक निजी संपत्ति/गैर सरकारी संपत्ति के मामले में राज्य सरकार को निर्देश देने के अनुरोध के उद्देश्य से दाखिल जनहित याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता. इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है.”

Continues below advertisement

'याचिकाकर्ता साबित नहीं कर सका कि संपत्ति है सरकारी'

याचिकाकर्ता कहीं से भी यह साबित नहीं कर सका कि उक्त संपत्ति एक सरकारी संपत्ति है. हालांकि, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कानून के मुताबिक उचित कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है. इस जनहित याचिका में प्रदेश के प्रमुख सचिव (धर्मार्थ कार्य विभाग), प्रयागराज मंडल के आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट, बारा तहसील के एसडीएम, शंकरगढ़ नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी और राजा महेन्द्र प्रताप सिंह को प्रतिवादी बनाया गया था.

ये भी पढ़ें: 'बाबर के नाम से कोई मस्जिद नहीं बननी चाहिए', बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी का बयान