उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव वर्ष 2027 में प्रस्तावित हैं. ऐसे में सभी सियासी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. इन तैयारियों में न सिर्फ अपनी सांगठनिक स्थिति मजबूत और सुदृढ़ करने की कोशिश है बल्कि अगर दल किसी गठबंधन का हिस्सा है तो वह दबाव बनाने की भी रणनीति पर काम शुरू कर चुके हैं. इसकी एक झलक बीते दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में देखने को मिली.

यहां भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के घटक दलों में से तीन - निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल - एस एक साथ नजर आए. यूं तो कार्यक्रम निषाद पार्टी की 10वें स्थापना दिवस का था लेकिन उसनें सुभासपा, अपना दल-एस और राष्ट्रीय लोकदल की मौजूदगी ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. इतना ही नहीं यूपी के राजनीतिक दल द्वारा दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे भी एक सुगठित रणनीति की ओर संकेत किया जा रहा है.

माना जा रहा है कि जिस तरह से निषाद पार्टी, अपना दल एस, रालोद और सुभासपा एक मंच पर साथ आए हैं, उससे न सिर्फ विधानसभा चुनाव बल्कि आगामी पंचायत चुनाव में भी सीटों को लेकर बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति बन सकती है. 

एक तीर से तीन निशाने साधेंगे तीनों नेता!

इस कार्यक्रम में सुभासपा चीफ और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर, अपना दल एस के नेता और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने भले ही अपने संबोधनों में समाजवादी पार्टी और उसकी पीडीए रणनीति पर जुबानी हमला बोला लेकिन उनके तेवर इस ओर भी इशारा कर रहे हैं कि वह बीजेपी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. 

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सुभासपा चीफ पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगी. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने भी अधिवेशन में तय कर लिया है कि बिहार चुनाव में वह भी भागीदारी सुनिश्चित कराएंगे. सुभासपा और निषाद पार्टी तो पहले भी बिहार में NDA से सीटों की मांग कर चुके हैं. हालांकि अपना दल एस ने अभी तक बिहार चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. माना जा रहा है कि तीनों ही दल बिहार में दबाव बढ़ाने की रणनीति के तहत एक साथ दिखे.

वहीं इस बात की भी चर्चा है कि दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे वजह यह थी ताकि बीजेपी आलाकमान तक संदेश दिया जा सके. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संजय निषाद, आशीष पटेल और ओपी राजभर की यह रणनीति, बिहार चुनाव, यूपी पंचायत चुनाव 2026 और यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में कितना कारगर साबित होती है.