विजिलेंस टीम ने पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की समधन और छोटी बहू अपर्णा यादव की मां अंबी बिष्ट के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के मामले में एफआईआर दर्ज की है. अंबी बिष्ट के अलावा एलडीए के पांच तत्कालीन अधिकारियों पर भी केस दर्ज किया गया है. ये मामला जानकीपुरम ज़मीन घोटाले से जुड़ा है. 

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विजिलेंस टीम ने अंबी बिष्ट के अलावा एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) के तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र सिंह, तत्कालीन उप सचिव देवेंद्र सिंह राठौर, तत्कालीन वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु महादाणें और तत्कालीन अवर वर्ग सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता भी नामजद हैं. 

जानें क्या है पूरा मामला?

इन सभी पर जानकीपुरम की प्रियदर्शिनी भूखंड योजना में अनियमितता बरतने का आरोप है. अंबी बिष्ट तब एलडीए की संपत्ति अधिकारी थीं. इस मामले में उनकी भूमिका के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद शासन के आदेश पर ये कार्रवाई की गई है. एफआईआर दर्ज होने के बाद अब उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 

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इस मामले में 23 नवंबर, 2016 को शासन ने भूखंडों के आवंटन में बदलाव कर पंजीकरण में अनियमितता की खुली जांच का आदेश दिया था. इसके तहत लखनऊ विकास प्राधिकरण के तत्कालीन लिपिक मुक्तेश्वर नाथ ओझा की भूमिका की जाँच करनी था. जांच के दौरान इस मामले में और नाम भी जुड़ते चले गए. 

जांच में हुए कई बड़े खुलासे

जांच के दौरान पता चला कि इस पूरी हेराफेरी में तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट के साथ अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र सिंह, उपसचिव देवेंद्र सिंह राठौर, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट एसवी महादाणे और अवर वर्ग सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता भी शामिल थे. 

इन सभी पर आरोप हैं कि उन्होंने आपस में मिलीभगत करके जानकीपुरम की प्रियदर्शनी भूखंड योजना में हेराफेरी कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और योजना के नियमों का उल्लंघन कर सरकारी खजाने के नुक़सान पहुंचाया. ये मामला सामने आने के बाद एलडीए के बड़े प्रोजेक्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे थे. 

इनपुट- विवेक राय

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