UP Nagar Nikay Chunav 2023: मेरठ (Meerut) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सिपाहियों में टकराव बढ़ रहा है. यहां सपा विधायक अतुल प्रधान (Atul Pradhan) से पार्टी और आरएलडी (RLD) के पांच बड़े नेताओं की तल्खी की खबरें अब तक परदे के पीछे से आ रही थी, लेकिन अब ये रार और टकराव खुलकर सामने आ रहा है. सपा प्रत्याशी सीमा प्रधान के चुनाव अभियान से सपा के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर, विधायक हाजी रफीक अंसारी, मेयर सुनीता वर्मा और उनके पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने दूरी बना ली है. 


आरएलडी विधायक गुलाम मोहम्मद नामांकन और प्रेस कांफ्रेंस में जरूर दिखे, लेकिन सीमा प्रधान के प्रचार अभियान में उन्हें भी दिलचस्पी नहीं है. यानि गठबंधन के साथी भी नाराज हैं. आरएलडी विधायक गुलाम मोहम्मद को छोड़कर सीमा प्रधान के नामांकन में चारों नेताओं में से कोई नहीं गया और ना ही उस पदयात्रा में नजर आए, जिसमें उमड़ी भीड़ चर्चा का विषय बनी हुई है. विधायक हाजी रफीक अंसारी के गढ़ हापुड़ रोड से ये अतुल प्रधान और सीमा प्रधान की पदयात्रा गुजरी लेकिन दो बार से विधायक हाजी रफीक अंसारी को पूछा तक नहीं गया.


एमएलए रफीक अंसारी ने क्या कहा
ये बात उन्हें चुभ गई है और इसने तल्खी और बढ़ा दी है. एमएलए रफीक अंसारी का कहना है कि मेरे गढ़ में मुझे न बताकर रोड शो निकालकर मेरा अपमान किया है. चुनाव सबको साथ लेकर लड़ा जाता है. सपा के कद्दावर नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री और चार बार से विधायक शाहिद मंजूर भी इस कदर खफा हैं कि आज तक भी सीमा प्रधान के प्रचार अभियान में नजर तक नहीं आए. एमएलए अतुल प्रधान और एमएलए शाहिद मंजूर में 36 का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है. अतुल प्रधान ने शहीद मंजूर के आवास से चंद कदमों की दूरी पर सभा की, किन उनको पूछा तक नहीं. ये बात उन्हें और चुभ गई. वो साफ तो नहीं कह रहे हैं. लेकिन कह रहें हैं बुलाएंगे तो जाऊंगा. अभी तक बुलावा नहीं आया है. पार्टी भी मजबूत है और कैंडिडेट भी. मैं घर के मसले की वजह से नहीं जा पाया.


पहले मेरठ महापौर सीट पर  वोटों का गणित समझ लेते हैं. मेरठ में मुस्लिम वोटों की संख्या 4 लाख से ज्यादा है, जिनमें करीब एक लाख से ज्यादा अंसारी बिरादरी की वोट हैं और शहर विधायक रफीक अंसारी इसी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं. मेरठ में एससी समाज की वोट एक लाख 75 हजार से ज्यादा हैं. 2017 में बीएसपी के एससी और मुस्लिम समीकरण की बदौलत सुनीता वर्मा महापौर बनी, लेकिन बाद में साइकिल पर सवार हो गईं. यहां गुर्जर वोट 30 से 40 हजार हैं. सीमा प्रधान इसी गुर्जर बिरादरी से आती हैं. 


बड़े नेताओं में होती है गिनती
मेरठ की महापौर सुनीता वर्मा और उनके पूर्व विधायक पति योगेश वर्मा की बात करें तो उन दोनों की ही गिनती एससी समाज के बड़े नेताओं में होती है. पूर्व विधायक योगेश वर्मा अखिलेश यादव के करीबी हैं. योगेश वर्मा ने बीजेपी को 2017 में महापौर चुनाव हराया और सुनीता वर्मा को मेरठ की मेयर बनाया. दोनों ही सपा विधायक अतुल प्रधान के रवैए से खिन्न हैं. अतुल ने न तो फोन किया, न प्रचार में बुलाया.  पल्लवपुरम में मेयर के घर के पीछे अतुल प्रधान ने मीटिंग की, लेकिन दोनों को ही नहीं पूछा. दोनों ही बैठकें भी कर रहे हैं और पार्षद प्रत्याशियों को चुनाव भी लड़ा रहें हैं, लेकिन सीमा प्रधान ने अभियान से बड़ी दूरी बना रखी है. मेयर सुनीता वर्मा का कहना कि सम्मान चाहिए. वहीं पूर्व विधायक का कहना है कि अतुल प्रधान में ईगो बहुत है. ऊर्जा राज्य मंत्री डॉक्टर सोमेंद्र तोमर ने तो अतुल प्रधान पर बड़ी बात कह डाली कि अपनी अपनी सोचेंगे तो अंतर्कलह होगी ही.


बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा
इन कद्दावर नेताओं की नाराजगी और गुटबाजी पर जब अतुल प्रधान से सवाल पूछा गया तो वो बोले सब एक साथ नहीं आ सकते. अलग अलग प्रचार कर रहें हैं. यानि इस मामले पर अतुल प्रधान ने बात को घुमा दिया और बीजेपी की तरफ मोड़ दिया. अब सपा नेताओं में टकराव है, तो बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा. क्योंकि आपसी खींचतान हमेशा ही दावों पर भारी पड़ जाता है. यहां बीजेपी से हरिकांत अहलूवालिया और बीएसपी से हसमत मलिक प्रत्याशी हैं. अखिलेश यादव ने मेरठ में गुर्जर मुस्लिम, एससी और जाट समीकरण के सहारे जो दाव चला वो दाव अतुल प्रधान की बड़े नेताओं से नाराजगी के बाद उल्टा पड़ सकता है. अब कोई बीच का रास्ता बचा है या नहीं ये देखने वाली बात होगी.


सपा नेताओं में रार और तकरार की बातें अखिलेश यादव के दरबार तक भी पहुंची लेकिन न रार खत्म हुई न तकरार. अब इतने बड़े नेताओं को नाराज करके क्या एमएलए अतुल प्रधान अपनी पत्नी सीमा प्रधान को चुनाव जीता पाएंगे ये बड़ा सवाल है, लेकिन इतना साफ है कि सपा नेताओं की इस अंतर्कलह ने मेरठ महापौर सीट पर बीजेपी की टेंशन जरूर कम कर दी है.


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