Sonbhadra Mushroom Farming News: सोनभद्र में जिलाधिकारी की एक अच्छी पहल से आज समूह की महिलाएं लखपति बन रही हैं. जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने जिला खनिज निधि से 61 लाख रुपये की लागत पर मशरूम प्रशिक्षण और उत्पादन, रोजगार सृजन का कार्य शुरू कराया, जो आज महिलाओं के लिए रोजगार का माध्यम बन गया है. इस केंद्र से प्रशिक्षण ले रही महिलाएं भीषण गर्मी में बटन मशरूम को खुले बाजार में बेच कर लखपति दीदी बनने की तरफ अग्रसर हैं. 

 

वहीं समूह की महिला संजू कुशवाहा का कहना है कि गरीब महिलाओं को भी आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है. आज जिले की कई महिलाएं जीविका से जुड़कर अपनी अलग पहचान बना रही हैं. साथ ही खेती से अच्छी कमाई भी कर रही हैं. प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जनपद में लोगो के स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सृजन के प्रति संवेदनशील जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने एक अनोखी पहल की शुरुआत से महिलाएं लखपति बनने की ओर अग्रसर हैं.

 

खेती कर महिलाएं कमा रहीं लाखों 

 

जिलाधिकारी ने डीएमएफ फंड से जिला उद्यान विभाग के परिसर में 16-16 बैग की दो यूनिट 61 लाख रुपये की लागत से निर्माण कराया है. इस बटन मशरूम उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र से जुड़ कर आज लगभग 40 महिलाएं लखपति दीदी बनने की तरफ अग्रसर हैं. जिले में महिलाएं भी अब पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. चाहें शिक्षा का क्षेत्र हो या खेती-किसानी का. आज हर क्षेत्र में महिलाएं नाम कमा रही हैं. ऐसे में आज हम एक ऐसी महिला के बारे में बात करेंगे, जो मशरूम की खेती से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं. अब महिलाओं की चर्चा पूरे जिले में हो रही है. खास बात यह है कि यह महिलायें जैविक विधि से मशरूम की खेती करना सीख रही हैं. यही वजह है कि उनसे मशरूम खरीदने के लिए दूसरे गांव से भी लोग आते हैं. जिलाधिकारी की पहल और उद्यान विभाग की मदद से मशरूम और आलू सहित अन्य हरी सब्जियों की खेती कर रही हैं. साथ ही वह दूसरी महिलाओं को भी खेती करने की ट्रेनिंग दे रही हैं.

 

महिलाओं की आर्थिक स्थिति बदली

 

इस मशरूम प्रशिक्षण और उत्पादन और रोजगार सृजन केंद्र से प्रशिक्षण ले रही समूह की महिला संजू कुशवाहा और धर्मशीला का कहना है कि पहले उनके पास घर का खर्च चलाने के लिए पैसों कि किल्लत रहती थी. उनके पास समय पर एक हजार रुपये भी नहीं रहते थे, लेकिन जब से उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की है, उनकी आर्थिक स्थिति बदल गई है. आज संजू और धर्मशीला जैसी कई महिलाएं खेती की बदौलत सालाना एक से दो लाख की कमाई कर रही हैं. इससे उनका परिवार खुशहाल हो गया है.

 

जिला अधिकारी ने क्या कहा?

 

इस संबंध में जिलाधिकारी ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य जनपद में  ग्रामीण महिलाओं के पास मनरेगा के अलावा कोई काम नही था, जिन्हें रोजगार उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती रही तो पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेते हुए जिला खनिज फाउंडेशन न्यास के द्वारा लगभग 61 लाख रुपये की लागत से 16-16 यूनिट के दो मशरूम प्रशिक्षण और उत्पादन केन्द्र का निर्माण जिला उद्यान विभाग के परिसर में कराया गया है. इस केंद्र से आज लगभग 80 किलो बटन मशरूम का उत्पादन हुआ है, जिसे समूह की 40  महिलाओं को प्रशिक्षत कर तोड़वाया गया है. इस तरह इन्हें रोजगार मिल गया और इसे महिलाएं बाजार में 150 से 200 रुपये किलो बेच कर अपनी आमदनी बढ़ा सकती हैं. इस मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के मीनू में भी शामिल किया जाएगा, ताकि बच्चों को पोषण युक्त भोजन मिल सके.