Siddharthnagar News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का आदेश है कि बाढ़ के समय सभी अधिकारी अलर्ट रहेंगे कहीं भी कोई घटना न घटने पाए. बावजूद इसके सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन पर इसका कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. हाल ही में लगातार हो रही बरसात (Heavy Rain) के कारण बाराबंकी (Barabanki) में घर गिरने से बड़ा हादसा हो गया था जिसमें कई लोगों की जान चली गई लेकिन प्रशासन ने इस हादसे से भी कोई सबक नहीं लिया. जिले में नदियों की कटान और बाढ़ को देखते हुए लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं. 


बाढ़ की वजह से पलायन को मजबूर लोग
सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ तहसील के अंतर्गत तौलिहवा ग्राम पंचायत के टोला बालानगर में बूढ़ी राप्ती नदी में बाढ़ और कटान से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. लोग इस कदर डरे हुए हैं कि वो अपना घर छोड़ने तक को मजबूर हो गए हैं. नदी ने अपना बहाव बालानगर गांव के बहुत करीब कर लिया है. जिसकी वजह से कटान घरों के काफी नजदीक पहुंच गया है. हालात ये है लोग रात भर जागकर नदी के कटान को देखते रहते हैं ताकि उनके परिवार के साथ कोई अनहोनी न हो. वहीं कई घरों में तो दरारें तक आ गई हैं. जिससे लोगों को घरों के गिरने का भी डर सता रहा है. कई परिवार तो इस कदर सहमे हैं कि वे शाम होते ही अपने पूरे परिवार को लेकर गांव के बाहर रास्ते पर रहने को मजबूर हो रहे हैं. 


प्रशासन ने नहीं ली ग्रामीणों की सुध


लोगों का कहना है कि यहां 10 साल पहले ईंट के ठोकर लगाए गए थे उसके बाद अभी तक कोई झांकने तक नही आया और कहीं से कोई मदद नहीं दिख रही है. इसलिए ग्रामीण गांव को छोड़कर पलायन करने को मजबूर दिख रहे है. ग्रामीणों का कहना है कि अपने परिवार की सुरक्षा को देखते हुए वे अपने रिश्तेदारों के घरों में आसरा लेने को मजबूर हैं वहीं ग्रामीणों ने कहा कि यहां अभी तक किसी जनप्रतिनिधियों ने भी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई. 


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जिलाधिकारी से बात की तो उन्होंने ये कहा
जिलाधिकारी संजीव रंजन ने इसे लेकर कहा कि मामला संज्ञान में है. एसडीएम शोहरतगढ़ को भेजा गया था उन्होंने ग्रामीणों से बात की और स्कूलों में रुकने की व्यवस्था की गई है. अगर पानी कम होता हैं तो उस पर सिंचाई विभाग से बात करके काम करवाया जायेगा. लेकिन सोचने वाली बात ये हैं कि हर साल करोंड़ों रुपये सिंचाई विभाग द्वारा नदियों पर ठोकर व बन्धों की मरमत पर खर्च किये जाते हैं लेकिन इस गांव पर कब प्रशासन की या विधायक, सांसद की नज़र पड़ेगी. कब इन लोगों की जिन्दगी इस भंवर से निकलेगी. 


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