सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर एक बार फिर से सवालिया निशान खड़े हुए हैं. यह सवालिया निशान दुनिया के सबसे बड़े उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर हो रहे जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने मंगलवार शाम अपने फुलकोर्ट रिफरेंस यानी विदाई समारोह में खड़े करते पूर्व चीफ जस्टिस आफ इंडिया जस्टिस दीपक मिश्र को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. उन्होंने अपनी कोर्ट रूम में ही कहा कि तत्कालीन सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्र की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने साल 2018 में उनका ट्रांसफर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट महज उनका उत्पीड़न करने के लिए किया था. उन्होंने कहा कि उनका ट्रांसफर गलत इरादे से उन्हे परेशान करने के लिए किया गया था. 


इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले सेवा दे चुके कोलकाता हाईकोर्ट के जज जस्टिस विवेक चौधरी ने भी कल ही अपने ट्रांसफर पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनका तबादला शक्ति के कार्यपालिका से न्यायपालिका से हाथ में ट्रांसफर होने का संकेत है. कॉलेजियम के फैसले पर उन्होंने भी अपनी भड़ास निकाली है.


इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर के कार्यकाल का मंगलवार को आखिरी दिन था. परंपरा के मुताबिक अंतिम दिन कामकाज खत्म होने के बाद उनका फुलकोर्ट रिफरेंस यानी विदाई समारोह उनके कोर्ट रूम में ही आयोजित किया गया. जस्टिस प्रीतिंकर ने अपने विदाई समारोह में इलाहाबाद हाईकोर्ट में बिताए गए अपने पांच साल के कार्यकाल को बेहद यादगार बताया. उन्होंने कहा कि यहां की बार और दूसरे लोगों से उन्हे जो सहयोग और सम्मान मिला, वह बेमिसाल था. इस सम्मान को वह कतई नहीं भूल सकते. 


जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने इस मौके पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से साल 2018 में खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन कॉलेजियम के फैसले का भी जिक्र किया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि तत्कालीन सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने गलत इरादे से उनका तबादला किया था. उनका तबादला उन्हें परेशान करने और उनका उत्पीड़न करने की मंशा के साथ किया गया था. जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने यह भी जोड़ा कि उनका ट्रांसफर भले ही गलत इरादे से किया गया हो, यह फैसला उनकी जिंदगी के लिए वरदान बन गया, क्योंकि यहां के साथी जजो और बार के पदाधिकारियों व दूसरे वकीलों से उन्हें भरपूर प्यार - समर्थन और सहयोग मिला. 


जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर साल 2009 में छत्तीसगढ़ में जज नियुक्त हुए थे. 3 अक्टूबर 2018 को उनका तबादला छत्तीसगढ़ से इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया था. जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का शुक्रिया अदा किया. जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने ही उनका नाम इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए तय किया था. जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर के मुताबिक सीजेआई चंद्रचूड़ ने उनके साथ हुई नाइंसाफी को ठीक करते हुए उन्हें न्याय देने का काम किया है. 


पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली कॉलेजियम पर निशाना साधते हुए जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा कि जिंदगी हर पल इम्तिहान लेती है और यह तत्काल फैसला नहीं सुनाती. फैसले आपके कर्म से तय होते हैं. अच्छा काम हमेशा अपनी छाप छोड़कर जाता है. उनके मामले में भी ऐसा ही हुआ है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपने द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा कि सीमित संसाधन होने के बावजूद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट को आगे बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. यह काम बेहद मुश्किल था. बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन्हें लगता है कि उन्होंने सभी के सहयोग से अपनी जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभाया है.


कोलकाता हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट ट्रांसफर किए गए जस्टिस विवेक चौधरी भी लंबे अरसे तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में काम कर चुके हैं. जस्टिस विवेक चौधरी ने भी कल कोलकाता हाईकोर्ट में आयोजित अपने विदाई समारोह में कॉलेजियम सिस्टम पर निशाना साधा था. एक साथ कई न्यायमूर्तियों के तबादले पर उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि कार्यपालिका की शक्तियां न्यायपालिका अपने हाथों में लेती जा रही है. इन दोनों जजेज के कॉलेजियम सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े करने के बाद इस पर नए सिरे से एक बार फिर बहस छिड़ गई है.