Kanpur News: उत्तर प्रदेश की कानपुर जिला कारागार का माहौल दूसरी जेलों से बिल्कुल अलग दिखाई पड़ा रहा है. दरअसल, कैदियों में तालीम हासिल करने का लगाव देखकर जेल परिसर स्कूल चलाया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने और पढ़ाने वाले दोनों दोनों जेल कैदी है. उनमें से कई ऐसे हैं जो लंबे समय से जेल में बंद हैं. हालांकि ये कैदी अपने पुरानी जिंदगी को भूलकर आगे का भविष्य संवारने में लगे हैं और पढ़-लिख कर अपने आने वाले कल को बेहतर बनाना चाहते हैं.


दरअसल, कानपुर जेल में इस समय 2350 कैदी बंद हैं. इनमें से बहुंत से नए मामलों में जेल भेजे गए हैं, तो वहीं कई यहां लंबे समय से सजा काट रहे हैं. इस जेल में कई महिलाएं भी बंद हैं. इन कैदियों में पढ़ने की ललक देखकर जेल प्रशासन भी हैरत में हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पढ़ाई करने इच्छा रखने वाले कैदियों की संख्या एक या दो में नहीं है, बल्कि ये संख्या हजार के पार हो गई है. पढ़ाई करने वाले कैदियों को देखकर अन्य कैदी भी प्रेरित हो रहे हैं.


कैदी ही पढ़ाते कैदियों को
फिलहार जेल के इस स्कूल में कोई कुशल शिक्षक नहीं है और न ही स्कूलों की तरह व्यवस्था, फिर भी इन कैदियों के हौसले बुलंद हैं. इन कैदियों को जेल अधीक्षक बीडी पांडे का पूरा सहयोग मिल रहा है. इन कैदियों को साक्षरता के आधार पर बांटा गया है. जेल में जो कैदी ग्रेजुएट हैं या उससे ज्यादा पढ़े लिखे हैं, उन्हें शिक्षक की भूमिका दी गई है. जहां वह अन्य कैदियों को पढ़ाते हैं. इसके अलावा जो कैदी 8वीं पास हाईस्कूल की शिक्षा लेने के बाद जेल में बंद हैं, उन्हें आगे एडमिशन दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. 


अनपढ़ कैदी को कराई जाती है शब्द की पहचान 
हालिया दिनों में माध्यमिक शिक्षक परिषद की ओर से फतेहपुर जेल को एग्जाम का सेंटर बनाया गया है, जहां जेल में बंद कैदियों को एग्जाम देने के लिए भेजा जाता है. इसी तरह अगर कोई कैदी बिल्कुल भी पढ़ा लिखा नहीं है, तो उसे जेल में बंद वो कैदी जो हाईस्कूल या इंटमीडिएट तक की पढ़ाई कर चुके है इनका आधारा तैयार करते हैं. ये कैदी उनको शब्दों की पहचान करना सिखाते हैं, जिससे उनके आगे की पढ़ाई की नींव मजबूत हो. इन कैदियों को अलग पढ़ाया जाता है.  


कैदियों की शिक्षा पर जेल अधीक्षक ने क्या कहा?
जेल अधीक्षक बीडी पांडे ने बताया की यह एक अलग तरह मुहिम है, इससे जेल में बंद कैदियों के मन में अपराध से दूर रहने की बात बैठ जाएगी. उन्होंने कहा कि निरक्षर होने पर ज्यादातर लोगों में अपने अच्छे और बुरे की समझ नहीं होती है. वह दूसरे के बहकावे में आकर गलत कदम उठा लेते हैं. जेल अधीक्षक ने कहा कि अगर कैदी इतना यहां से सीख पढ़कर जाता है कि वह अपना नाम लिख सके, अच्छे बुरे की समझ जान ले. यह उसके लिए बहुत अच्छा होगा. इससे हमारा प्रयास और मेहनत भी सफल होगी और हम कैदियों के कल को बेहतर बनाने में हिस्सेदार होंगे.


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