Deoband: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण देवबंद के दारुल उलूम में रविवार को उत्तर प्रदेश के मदरसों का सम्मेलन हुआ. इस दौरान जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सर्वे करना सरकार का हक है. उनकी मदद की जाए. अब तक सर्वे वालों का किरदार सही रहा है. उन्होंने कहा कि अब तक के सर्वे में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं दिखी है.उन्होंने कहा कि आज हमने बताया की इस्लामी मदरसों को क्यों बनाया गया.


मैलाना अरशद मदनी ने क्या कहा है
 
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसे हजारों साल से मोहब्बत की तहजीब है. उन्होंने कहा कि मदरसे हमारी मजहबी जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं. लाखों मस्जिदों के ईमाम आदि चाहिए. वो इन्हीं मदरसों से आते हैं. उन्होंने कहा कि मैंने मदरसों से कहा है कि सरकार के सभी सवालों के जवाब दिए जाने चाहिए.उन्होंने कहा कि मदरसों से कहा गया है कि वो हिसाब-किताब सही रखें. मदरसे की जमीन कानूनी होनी चाहिए. 


मदरसों की क्या सलाह दी 


मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसा संचालकों से कहा गया है कि मदरसों में खाने पीने की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. साफ-सफाई होनी चाहिए. अगर आपने सरकारी जमीन पर मदरसा बना रखा है तो उसे तोड़ दीजिए.अपनी जमीन पर ही मदरसा बनाइए वरना वो मदरसा नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि अगर ये साबित हो जाए कि मदरसा सरकार की जमीन पर है तो 15 दिन की नोटिस पर सरकार उसे तोड़ सकती है, हमें स्वीकार होगा.


सरकारी जमीन पर बने मदरसों के लिए क्या कहा


इससे पहले इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने दिल्ली में छह सितंबर को एक बैठक की थी. बैठक में मदरसों के सर्वे का विरोध किया गया था. बैठक में सरकार के इस फैसले पर नजर रखने और सरकार से बातचीत करने के लिए एक 12 सदस्यों वाली स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया गया था. यह कमेटी मदरसों से संपर्क बनाकर उनकी कमियों को दूर करने का काम भी करेगी.


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