Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर में वन विभाग की पहल पर बांस की राखियां बनाई जा रही हैं. ये पहली बार है जब प्रदेश में बांस की राखियां बनाने की पहल की गई है. ये इको फ्रेंडली तो है ही इसके साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं. नेशनल बम्बू मिशन के तहत कैम्पियरगंज के लक्ष्मीपुर में स्थापित सामान्य सुविधा केंद्र से संबद्ध स्वयंसेवी समूह की महिलाओं द्वारा इस रक्षाबंधन पर्व के पहले एक लाख रुपये की कीमत की राखियों को बनाकर बेचने का लक्ष्य तय किया गया है.
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की ओर कदम
केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के काफी काम किए जा रहे हैं. इसके लिए सरकार कई तरह के कार्यक्रम और योजनाओं से महिलाओं को जोड़ रही है. नेशनल बम्बू मिशन भी इसी में से एक है. यह मिशन ग्रामीण महिलाओं को बांस के उत्पाद बनाने के कार्य से जोड़कर उन्हें रोजगार का मंच उपलब्ध करा रहा है. इस मिशन के तहत कैम्पियरगंज के लक्ष्मीपुर में एक सामान्य सुविधा केंद्र की स्थापना की गई है. यहां महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें बांस के खिलौनों, गिफ्ट आइटम्स, ज्वेलरी आदि बनाने में पारंगत किया गया है.
पहली बार बांस से बनाई जा रही हैं राखियां गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव ने कहा कि सीएम योगी अक्सर कुछ नया करने को प्रेरित करते हैं. नवाचार को लेकर ही यह ख्याल आया कि बम्बू मिशन की सीएफसी में बांस की ईको फ्रेंडली राखियां बनवाई जा सकती हैं. इससे लोगों को पर्यावरण के अनुकूल राखियों का विकल्प मिलेगा और बनाने वाली महिलाओं की आमदनी भी बढ़ेगी. इसके बाद महिलाओं से बात की तो वो इस पर काम को तैयारो हो गईं. उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराया गया और फिर राखियां बनाने का काम शुरू हो गया.
महिलाओं ने खुद ही तैयार किए डिजाइन
प्रदेश में पहली बार बांस की राखियां बनाई जा रही है जिनके डिजाइन खुद यहां की महिलाओं ने ही तैयार किए हैं. बांस की राखियां बना रहीं कारीगर बिंदु देवी, राजमती, झिनकी, मीना, मीरा, शीला, संजू और अंजू ने बताया कि उन्होंने पहले मोबाइल पर राखियों के डिजाइन देखे और फिर उनमें कुछ बदलाव कर अपने नए डिजाइन बनाए. इन्ही डिजाइन के आधार पर लगातार काम किया जा रहा है और राखियां बनाई जा रही हैं.
पूरे साल प्रदर्शित होंगी बांस की राखियांडीएफओ विकास यादव ने कहा कि बांस की राखियां चिड़ियाघर में नेशनल बम्बू मिशन के स्टाल पर प्रदर्शनी व बिक्री के लिए रखी जाएंगी. इसके साथ ही 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस पर योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल सेमिनार में भी इसकी प्रदर्शनी लगाई जाएगी. चिड़ियाघर के स्टाल में ये राखियां रक्षाबंधन के बाद भी अवलोकन के लिए उपलब्ध रहेंगी. ताकि अगले साल के पर्व के पूर्व तक इसकी खासी मांग उपलब्ध हो सके. राखियों से पहले ये महिलाओं का ये समूह बांस के गहनें, श्रृंगारदान, नाइटलैंप, परदे, नेकलेस, ईयर रिंग, फ्लावर स्टैंड, खिलौने के जरिए प्रतिमाह 30-35 हजार रुपये प्रतिमाह की कमाई कर रहा है.
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