UP News: उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में किताबें (School Books) ना पहुंचने के मामले में एबीपी गंगा (ABP Ganga) की खबर का बड़ा असर हुआ है. सरकारी स्कूलों में किताबें ना पहुंचने के मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय ने डीजी स्कूल एजुकेशन (DG School Education) से जवाब तलब किया है. इसके बाद डीजी स्कूल एजुकेशन ने इस मामले में पाठ्य पुस्तक अधिकारी से कार्रवाई कर रिपोर्ट मांगी है. एबीपी गंगा लगातार इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहा है कि शिक्षा का नया सत्र शुरू होने के 4 महीने बीतने के बाद भी कक्षा 1 से 8 तक के छात्र छात्राओं को किताबें नहीं मिली हैं. 

 

1.91 करोड़ छात्रों का भविष्य खतरे में
प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में एक करोड़ 91 लाख के करीब छात्र छात्राओं को लगभग 11 करोड़ किताबें बांटी जानी है. इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने पब्लिशर्स को 90 दिन का वक्त दिया जो 7 सितंबर को पूरा होगा. पब्लिशर्स को मिले 3 महीनें के वक्त में से करीब 2 महीने का वक्त बीत भी चुका है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक प्रदेश में सिर्फ 22 से 24 फ़ीसदी के आसपास ही किताबों की सप्लाई हो पाई है. बात अगर बच्चों तक किताबें पहुंचने की करें तो बमुश्किल 10 फीसद किताबें ही बच्चों को मिल पाई हैं.

 


 

केवल 10 फीसद ही बंट पाई हैं किताबें
राजधानी लखनऊ में ही करीब 2 लाख 7 हज़ार छात्र छात्राओं को लगभग 17 लाख किताबें बांटी जानी है, जबकि अभी तक लखनऊ में साढ़े 4 लाख के आसपास ही किताबों की सप्लाई हुई है. इसमें भी स्कूलों तक किताबें पहुंचने की बात करें तो लगभग 1 लाख 75 हज़ार के आस पास किताबें ही पहुंची है. यानी लखनऊ में कुल जितनी किताबें बांटी जानी है उसकी महज 10 फीसद तक ही किताबें मिल पाई हैं. इस मामले में लखनऊ के बीएसए अरुण कुमार का कहना है कि लगातार पब्लिशर्स से संपर्क किया जा रहा है और जल्द से जल्द बच्चों तक किताबें पहुंचा दी जाएंगी. 

 

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