UP Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ा दी है. समाजवादी पार्टी के पीडीए, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के जवाब में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपना दल (कमेरावादी) के साथ मिलकर पीडीएम बनाया है. पीडीएम अर्थ, पी-पिछड़ा, डी-दलित, एम-मुसलमान. पीडीएम न्याय मोर्चा के साथ ही AIMIM सुप्रीमो और अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. 


हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी भले ही विपक्ष में हों, लेकिन विपक्षी पार्टियां उन पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाकर उनकी पार्टी से दूरी बनाए रखती हैं. तो ऐसे ही तल्ख तेवर ओवैसी के भी रहते हैं. लोकसभा चुनाव ओवैसी खुद की पार्टी के लिए यूपी में सियासी तौर पर उभरने की उम्मीद देख रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 19 फीसदी से ज्यादा है, लेकिन पश्चिमी यूपी में ये बढ़कर 26 फीसदी हो जाती है. यूपी में 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली लोकसभा की 21 सीटें हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में मुसलमानों ने सपा-बसपा गठबंधन को 73 और कांग्रेस को 18 फीसदी वोट दिए थे. 


यूपी में कदम रख चुके हैं असदुद्दीन ओवैसी


लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है तो वहीं सपा-कांग्रेस एक साथ चुनाव रण में हैं. ओवैसी अखिलेश के साथ चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी फिर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल) के साथ मिलकर पीडीएम न्याय मोर्चे का ऐलान कर दिया  है. इससे अखिलेश यादव को काफी नुकसान होने वाला है. क्योंकि ओवैसी मुस्लिम वोट को अपनी ओर खींचने का मेगा प्लान बना चुके हैं, लेकिन अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि मुस्लिम वोट बिखरे, इसलिए अखिलेश यादव पर दबाव की रणनीति है.


दूसरी तरफ ओवैसी 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतार मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश कर चुके हैं. ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी यूपी के सियासी अखाड़े में अपना दम दिखाती है तो जो नुकसान होगा वो सपा-कांग्रेस आलायंस को ही होगा.


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