यूपी सरकार ने समाज कल्याण विभाग के विभन्न जिलों में 262 छात्रावासों में बड़ा बदलाव करते हुए अब सामान्य श्रेणी (सवर्ण) के गरीब विद्यार्थियों के लिए भी राह खोल दी है. अभी तक इन छात्रावासों में केवल अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों को ही प्रवेश मिलता था. अब इन 262 छात्रावासों में कुल 2850 सीटों में से 10% सीटें यानी लगभग 285 सीटें सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए आरक्षित की जाएंगी.
यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता को बढ़ावा देने और हर वर्ग के छात्रों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है.
नई नीति के तहत सुविधाएं
समाज कल्याण विभाग के इन छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को मुफ्त आवास, टेबल-कुर्सी, चारपाई, बिजली, और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पहले से उपलब्ध हैं. इनमें से 255 छात्रावास पुरुष छात्रों के लिए और 7 छात्रावास बालिकाओं के लिए संचालित किए जा रहे हैं. प्रत्येक बालिका छात्रावास में औसतन 50-50 छात्राएं रहती हैं, जबकि पुरुष छात्रावासों में 100-100 छात्रों की क्षमता है. नई नीति के तहत सवर्ण छात्रों को भी इन सुविधाओं का लाभ मिलेगा, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के गरीब परिवारों के बच्चे उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर हो सकेंगे.
प्रस्ताव की तैयारी
समाज कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि इस बदलाव के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. प्रस्ताव में सवर्ण छात्रों की पात्रता, चयन प्रक्रिया, और आरक्षण के मानदंडों को स्पष्ट किया जाएगा. अभी तक इन छात्रावासों में SC-ST छात्रों को प्राथमिकता दी जाती रही है, लेकिन अब आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण छात्रों को भी इस योजना में शामिल करने का निर्णय लिया गया है. यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'अंत्योदय से सर्वोदय' की नीति के अनुरूप माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य सभी वर्गों के उत्थान को सुनिश्चित करना है.