उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने गुरुवार (28 अगस्त) को वृंदावन पहुंचकर संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की. इस दौरान पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को प्रेमानंद महाराज ने रिटायरमेंट के बाद जीवन के नए पड़ाव पर मार्गदर्शन दिया. प्रशांत कुमार ने अपनी पत्नी के साथ वृंदावन के केली कुंज आश्रम पहुंचकर प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लिया.

प्रेमानंद महाराज ने पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार से कहा कि खूब हमारे देश की सेवा की प्रदेश की सेवा की अब भगवान का स्मरण कीजिए जो मनुष्य जीवन का अंतिम फल है. वो है हमारा शरीर जब छूटे तो भगवान की स्मृति में छूटे. पूर्व में ऐसे स्वीकृत किए कि इस जन्म में मानव देह मिला और मानव देह पवित्र भारत देश में और फिर पूरा पूरा प्रदेश का अधिकार आपके हाथ में रहा. पूरी सेवा रही तो अब यह है कि हमारा अगला जब जन्म हो तो हम फिर मनुष्य जन्म में जन्मे और ऐसा कर्म करें जिससे हम अपने देश को सुख प्रदान करें और अपने समाज को सुख प्रदान करें. अब इसके नीचे ना गिरे.

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि मनुष्य जन्म के नीचे ना गिरे, 84 लाख योनियां है ना तो मनुष्य जन्म के नीचे ना गिरे. अपने को भगवान की शरण में साबित करें, तो अब हमें लगता है भगवान ने आपको सब कुछ दिया ही है तो अब एकांत में भगवान का चिंतन जितना अधिक कर सके उतना सर्वश्रेष्ठ रहेगा. समाज की सेवा तो पूरा जीवन हो गया करते हुए. भगवान ही परिवार की सेवा के रूप में आए हुए हैं, हमारा तो हृदय सबके लिए है कि सब कोई आनंदित रहे, सब सुखी रहे, सब प्रसन्न रहें.

पशु पक्षी बने तो अच्छा नहीं रहेगा

उन्होंने कहा कि बस आप सुमिरन जरूर करते रहिएगा, भगवान के सुमिरन से सब समस्याओं का समाधान हो जाता है. हरि स्मृति सर्व विपद विमोक्षण, भगवान का स्मरण समस्त विपत्तियों से हमें बचा लेता है. अगर हम भगवान का स्मरण कदम कदम पर करेंगे तो हमारा हम यह देखते हैं कि हम लोग केवल इसी जन्म को सजाने के विषय में चिंतन करते रहते हैं. हम यह नहीं सोच पाते कि शरीर छूटेगा और फिर अगला भी जन्म होगा. क्योंकि जीव जब तक ईश्वर से नहीं मिल जाता तब तक उसका आवागमन चक्र चलता रहता है. तो अगर अब अभी मनुष्य बने और पीछे पशु पक्षी बने तो अच्छा नहीं रहेगा. हमको अब अगले जन्म का भी विधान देखना है.